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Lok Sabha Election 2024: घोसी लोकसभा में हो गया खेल, एक बयान ने बदला सियासी बयार

Lok Sabha Election 2024: सियासत में चुनावी समर में हर एक बयान का सियासी मायना निकाला जाता है. ऐसे में चुनावी संग्राम में प्रत्याशी बहुत सोच समझकर बोलते हैं लेकिन घोसी में ऐसा नही है. घोसी लोकसभा क्षेत्र एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी अरविन्द राजभर ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे चुनावी माहौल ही बदल गया है. घोसी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अरविन्द राजभर (Arvind Rajbhar) ने पत्रकारों को दिए गये बयान में कहा ‘अब्बास अंसारी का पूरा समर्थन मिलेगा.’ मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी के बड़े पिता अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी से गाजीपुर के लोकसभा उम्मीदवार हैं. वहीं, अब्बास के चचेरे भाई समाजवादी पार्टी से विधायक हैं.

सुभासपा से मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी के पिता मुख़्तार अंसारी पर विश्व हिन्दू परिषद के कोषाध्यक्ष नंद किशोर रूंगटा, भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानन्द राय, राम सिंह मौर्या, सतीश कुमार हत्याकांड, मऊ के भाजपा नेता अशोक सिंह के भाई मन्ना सिंह के हत्या के आरोप समेत अनेकों आरोप लगे हैं. मुख़्तार अंसारी को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय के हत्या मामले में सजा भी हो चुकी है.

सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) अपनी सियासी बयानबाजी और मौसम की तरह बयान बदलने के लिए जाने जाते हैं लेकिन उनके पुत्र और घोसी लोकसभा के प्रत्याशी के इस बयान के बाद से घोसी संसदीय क्षेत्र का सियासी माहौल बदलने लगा है.

बदलता सियासी समीकरण

घोसी और मऊ की सियासत में अगर वोटिंग पैटर्न पर नज़र डाली जाए तो घोसी में अबतक सबसे अधिक बार भूमिहार जाति के सांसद निर्वाचित हुए हैं जिनको अन्य मतदाताओं के साथ – साथ हमेशा मुस्लिम का साथ मिला है वहीं घोसी संसदीय क्षेत्र के भूमिहार मतदाता भी मुस्लिम प्रत्याशियों के पक्ष में लामबन्द रहते हैं लेकिन मुख़्तार अंसारी के चुनाव में ऐसा नही होता.

घोसी लोकसभा क्षेत्र में मुख़्तार का भूमिहार और बनिया वर्ग सियासी तौर पर विरोधी है वहीं मऊ शहर के आसपास के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर मन्ना सिंह हत्याकांड की वजह से राजपूत मतदाता भी मुख़्तार से सियासी तौर पर दूर नज़र आते हैं. ऐसे में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी के इस बयान से भाजपा के कोर मतदाताओं की नाराजगी लाजमी है. यह नाराजगी अगर पोलिंग बूथों पर देखने की मिली तो घोसी लोकसभा की सियासी तस्वीर कुछ हो सकती है.

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