पंजाब की सांस्कृतिक भावनाओं को प्रबल बनाने के लिए अगली पीढ़ी में मजबूत संस्कार विकसित करने का काम किया जा रहा है. पंजाब के फलते-फूलते मैदानों में जहां भांगड़ा संगीत की जीवंत लय ब्यास नदी की मधुर स्वर-ध्वनि से मिलती है, एक अनूठी कथा परंपरा को सावधानी से क्यूरेट किया जा रहा है और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
बाल साहित्य के जरिए पंजाब की विशिष्ठ संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के साथ किस्से और कहानियां बताई जा रही हैं. इनमें उन कहानियों का संकलन है, जो पंजाब की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग हैं. पंजाब में बच्चों के साहित्य का विकास इस क्षेत्र की तरह ही जीवंत और विविध रहा है. इसकी उत्पत्ति का पता दादा-दादी और गाँव के बुजुर्गों की मौखिक कहानी कहने की परंपराओं से लगाया जा सकता है.
ज्ञान, नैतिक पाठ और हास्य की फुहार से ओतप्रोत इन कहानियों ने बच्चों को उनके तत्काल अनुभव से परे दुनिया के लिए पहली खिड़की के रूप में सेवा प्रदान की. नानक सिंह और अमृता प्रीतम जैसे साहित्यकारों ने एक महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से पंजाबी जीवन के समृद्ध ताने-बाने को अपनी कहानियों के धागों में पिरोया. उनकी कहानियों को अक्सर लोककथाओं, इतिहास और पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाता था, जिससे वे आकर्षक होने के साथ-साथ जानकारीपूर्ण भी होती थीं.
-भारत एक्सप्रेस
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