Categories: देश

कांग्रेस जीता हुआ चुनाव हारी, टिकट बंटवारा, गुटबाजी और अति आत्मविश्वास पड़ा भारी!

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के परिणाम ने देश और प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर चुनाव वाले दिन और उसके बाद सामने आए एग्जिट पोल तक या यूं कहें कि मतगणना के शुरुआती रुझानों तक जहां पार्टी जीत दर्ज करती हुई दिखाई दे रही थी, वहीं नतीजा कुछ और ही निकला. हालांकि कांग्रेस के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले भी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था.

हरियाणा चुनाव पर नजदीक से नजर बनाए हुए कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को इस बार कांग्रेस को टिकट बंटवारे में गड़बड़ी और अति आत्मविश्वास का शिकार होना पड़ा है. अगर कुछ कोर पाइंट की बात करें तो सबसे पहला बिंदु यह है कि जहां कांग्रेस ने आखिरी वक्त पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की थी. उसमें भी पार्टी का टिकट सही उम्मीदवारों को नहीं मिला. हरियाणा के अंदर दल को गुटबाजी का भी शिकार होना पड़ा.

चुनाव से पहले ही हरियाणा में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई थी, यहां पर कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच की व्यक्तिगत महत्वकांक्षा से सभी वाकिफ हैं जिसके कारण कुमारी शैलजा ने अपने प्रचार का सिलसिला काफी देरी से शुरू किया. प्रदेश के अंदर एक माहौल बन गया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो पार्टी को एक नए विवाद मुख्यमंत्री चुनाव से जूझना पड़ेगा.

वहीं, इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ने आदर्श प्रदर्शन किया, यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा. दरअसल, मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए भारतीय जनता पार्टी के अंदर भी एक साथ कई स्वर उठ रहे थे, लेकिन व्यक्तिगत महत्वकांक्षा को छोड़कर पार्टी पहले एकजुट होकर चुनाव लड़ना ठीक समझा, जिसका नतीजा आज सबके सामने है. भाजपा ने न सिर्फ लगातार तीसरी बार हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई, बल्कि अपने वोट सीटों के साथ-साथ वोट प्रतिशत शेयर में भी इजाफा किया. अगर, चुनावी नतीजों को ध्यान से देखे तो हरियाणा में पिछली बार की तुलना में जितने वोट प्रतिशत की वृद्धि हुई है, भाजपा के खाते में भी करीब उतने ही वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई.

दरअसल, पिछली बार 2019 में पार्टी को 36.49 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे और 40 सीटों पर जीत मिली थी और पार्टी को बहुमत के आंकड़े को पार करने के लिए क्षेत्रीय पार्टी जजपा के बैसाखी की मदद लेनी पड़ी थी. वहीं, इस बार भाजपा ने 39.94 प्रतिशत वोटों के साथ 48 सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी के इस कामयाबी के लिए नायब सिंह सैनी की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने चुनाव के वक्त पार्टी का सही से नेतृत्व किया और किसी मुद्दे पर पार्टी को घिरने से बचाए रखा.

ये भी पढ़ें- ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ निकालेंगे गिरिराज सिंह, हिंदुओं से करेंगे एकजुट होने की अपील

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

Recent Posts

लश्कर-ए-तैयबा के लिए कथित तौर पर धन जुटाने के मामले में आरोपी जावेद अली को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली जमानत

अली को नवंबर 2019 में लश्कर के एक ऑपरेटिव शेख अब्दुल नईम उर्फ सोहेल खान…

1 hour ago

उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में देवांगना कलीता की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को नोटिस जारी किया

फरवरी 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के साथ ही नागरिकता…

1 hour ago

सड़क हादसे में युवक की मौत के बाद परिजनों की पिटाई मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित, थाना प्रभारी लाइन हाजिर

मध्य प्रदेश में शिवपुरी के पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ ने बताया कि कोतवाली के…

2 hours ago

गुजरात: सूरत में तेंदुए को सुनाई गई उम्र कैद की सजा

सूरत जिले में फिलहाल तेंदुओं की संख्या 150 पर पहुंची है. बीते छह महीने में…

2 hours ago

Jharkhand: ‘मंईयां सम्मान योजना’ पर नहीं लगेगी रोक, याचिका खारिज होने पर हेमंत सोरेन ने कहा- तानाशाह हार गया

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही ‘मंईयां सम्मान योजना’ पर…

2 hours ago

Manipur में जारी हिंसा के बीच 6 पुलिस थाना क्षेत्रों में फिर से लगाया गया AFSPA

मणिपुर को 1980 से ही AFSPA के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा प्राप्त है और…

2 hours ago