Yogesh Gauder Murder Case: भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौदर की हत्या के मामले में कर्नाटक के धारवाड़ से कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी के खिलाफ आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि कुलकर्णी पर अब मुकदमा चलेगा. इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने विनय कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद कुलकर्णी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि साल 2016 में विनय कुलकर्णी मंत्री थे. अप्रैल 2016 में आयोजित एक पंचायत बैठक में विवाद के बाद उन्होंने अपने करीबियों एवं अन्य आरोपियों के साथ भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौदर की हत्या की साजिश रची थी. अदालत ने लंबी सुनवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कुलकर्णी सहित अन्य आरोपी 2016 में हुई घटना के बाद से कई बार अदालतों का रुख कर चुके हैं.
हाई कोर्ट ने कहा था कि वर्षों बीत गए, लेकिन एक पत्ता भी नही हिला. लंबे समय तक चलने वाला आपराधिक मामला आपराधिक न्याय प्रशासन के हित के प्रतिकूल होगा. प्रत्येक मामले, विशेष रूप से इस तरह के मामले में युद्ध स्तर पर सुनवाई होनी चाहिए. बता दें कि धारवाड़ जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य योगेश गौदर की जून 2016 में उनके जिम में हत्या कर दी गई थी. इस मामले की शुरुआत में कर्नाटक पुलिस ने जांच की थी और छह लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो साल 2019 में मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. जिसके बाद कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को सीबीआई ने 2020 में गिरफ्तार किया था. इसके बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2023 में विनय कुलकर्णी के खिलाफ आरोप तय कर दिया.
कुलकर्णी ने पहले इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जब वहां से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उसे यहां से भी राहत नहीं मिली है. कुलकर्णी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें हत्या से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है. इसलिए उनके खिलाफ आरोप तय नहीं किया जा सकता. हालांकि सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया था कि कुलकर्णी के खिलाफ मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य और कई गवाहों द्वारा दिये गए बयान पर आधारित है. उन्होंने यह भी झा था कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर किए गए दस्तावेज अभियोजन पक्ष के मामले को पर्याप्त विश्वसनीयता प्रदान करते है.
-भारत एक्सप्रेस
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