The Cost of Vegetarian Thali: दुनिया में भारत शाकाहारी भोजन करने वाली सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यहां राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिमी यूपी और हरियाणा में निवास करने वाले करोड़ों लोग शाकाहारी हैं. इन राज्यों के लोग रोटी-चावल, दाल-सब्जियों की थाली का भोजन अधिक करते हैं. हालांकि, इनके लिए चिंता की बात यह है कि शाकाहारी थाली के रेट बढ़ते जा रहे हैं.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में घर में पकाई जाने वाली शाकाहारी थाली की कीमत सितंबर में सालाना आधार पर 11% बढ़ गई है, जबकि मांसाहारी थाली 2% सस्ती हुई है. इस संबंध में क्रिसिल की ओर से ‘रोटी राइस रेट’ टाइटल के साथ एक रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई.
क्रिसिल की रिपोर्ट में शाकाहारी थाली के दाम बढ़ने और मांसाहारी थाली के दाम घटने पर प्रकाश डाला गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी थाली की बढ़ी हुई लागत की वजह सब्जियों की कीमतों में हुई वृद्धि है, जो सामूहिक रूप से थाली की कुल कीमत का 37% है.
उदाहरण के लिए प्याज की कीमत में सालाना आधार पर 53%, आलू की कीमत में 50% और टमाटर की कीमत में 18% की वृद्धि हुई है. बताया जाता है कि प्याज और आलू की कीमतों में इजाफा कम आवक के कारण हुआ, वहीं, टमाटर के उत्पादन पर भारी वर्षा का प्रभाव पड़ा, जिसकी वजह से कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के रिसर्च-डायरेक्टर पुशन शर्मा ने बताया कि ब्रॉयलर की कीमत में कमी के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में पिछले साल की तुलना में कमी दर्ज की गई है. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, नॉन-वेज थाली में ब्रॉयलर की कीमत में सालाना आधार पर 13% की अनुमानित गिरावट आई है. यह नॉन-वेज थाली की कीमत का 50% हिस्सा है.
उन्होंने कहा, “हालांकि शाकाहारी थाली के रेट घटने में समय लगेगा. हमें उम्मीद है कि खरीफ की आपूर्ति बाजार में आने के बाद प्याज की कीमतों में मामूली सुधार होगा. आलू की कीमतों में भी गिरावट आने की उम्मीद है, हालांकि कम आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं.”
दालों की कीमत, जो कि शाकाहारी थाली की लागत का 9% है, पिछले वर्ष उत्पादन में कमी के कारण 14% बढ़ गई. दालों की कीमत बढ़ने के साथ इस वर्ष प्रारंभिक स्टॉक कम हो गया. स्टॉक में कमी की वजह से कीमतों में और तेजी आई.
रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन की लागत में 11% की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल सितंबर में दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 903 रुपये से घटकर इस साल मार्च में 803 रुपये हो गई. ईंधन की लागत में आई इस गिरावट की वजह से थाली की लागत में और वृद्धि रुक गई.
इससे पहले 6 अगस्त 2024 को पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जुलाई में शाकाहारी थाली तैयार करने की लागत जून के ₹29.60 से बढ़कर ₹32.60 हो गई, और मांसाहारी थाली की लागत ₹58 से बढ़कर ₹61.40 हो गई. हालांकि, जुलाई 2024 के लिए दोनों लागतें जुलाई 2023 की तुलना में कम थीं, जब शाकाहारी थाली की कीमत ₹34.10 और मांसाहारी थाली की कीमत ₹67.80 थी.
इस महीने शाकाहारी थाली की कीमत औसतन 32.60 रुपये हो गई, जो कि जून में 29.60 रुपये थी. यह वृद्धि मुख्यतः टमाटर की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई.
टमाटर, प्याज और आलू इत्यादि सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के कारण इस महीने भी शाकाहारी थाली की लागत बढ़ गई.
शाकाहारी थाली की कीमत बढ़कर 27.8 रुपये हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 9% अधिक दर्ज की गई.
सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण इस महीने शाकाहारी थाली की कीमत भी बढ़ गई.
घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है. मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है. डेटा यह भी बताता है कि थाली की लागत में बदलाव लाने वाली सामग्री (अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियाँ, मसाले, खाद्य तेल, रसोई गैस) क्या हैं.
भारत में शाकाहारी आबादी की बसावट क्षेत्र के अनुसार भिन्न-भिन्न है, पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में शाकाहारियों की तादाद पूर्वी और दक्षिणी राज्यों की तुलना में अधिक है. पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में मांसाहारियों का अनुपात अधिक है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा और झारखंड में 97% से अधिक आबादी मांसाहारी है.
– भारत एक्सप्रेस
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