महाराष्ट्र के बदलापुर में नर्सरी की दो लड़कियों से यौन उत्पीड़न के आरोपी 23 वर्षीय युवक को पुलिस ने बीते 23 सितंबर को तब गोली मार दी, जब उसने एक कॉन्स्टेबल की बंदूक छीनकर एक पुलिस अधिकारी पर गोली चला दी. सहायक पुलिस इंस्पेक्टर नीलेश मोरे इस गोलीबारी में घायल हो गए. इस दौरान वरिष्ठ इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने आरोपी अक्षय शिंदे पर गोली चलाई थी, जिसके बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
संजय शिंदे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा की अगुआई वाली टीम का हिस्सा थे. सूत्रों ने बताया कि संजय जब ठाणे क्राइम ब्रांच के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के प्रमुख थे, तब वे मशहूर पुलिस अधिकारी की टीम का हिस्सा थे.
प्रदीप शर्मा नेटफ्लिक्स की डॉक्यूसीरीज ‘मुंबई माफिया: पुलिस वर्सेज द अंडरवर्ल्ड’ में भी काम कर चुके हैं. इस टीम ने 2017 में जबरन वसूली के एक मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के भाई इकबाल कासकर को ठाणे से गिरफ्तार किया था.
संजय शिंदे, जो पहले मुंबई पुलिस में काम कर चुके हैं, अब उस विशेष जांच दल (SIT) का हिस्सा हैं, जिसे राज्य सरकार ने बदलापुर बलात्कार मामले की जांच के लिए गठित किया था.
इससे पहले 2012 में दो हत्या मामलों में आरोपी विजय पलांडे के पुलिस हिरासत से भागने के बाद उनसे पूछताछ की गई थी. पलांडे जिस एसयूवी में कथित तौर पर भागा था, उसमें उनकी वर्दी मिली थी. रिपोर्ट के अनुसार, एक बार में शराब पीने के बाद जब उन्होंने दूसरे पुलिसकर्मी के साथ गोलीबारी की थी, तब उसके खिलाफ एक और जांच शुरू की गई थी.
वर्ष 2000 में संजय एक अपहरण मामले में जांच के घेरे में आए थे, जिसका खुलासा एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उनसे पूछताछ के बाद हुआ था, ऐसा 2012 में बताया गया था.
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प्रदीप शर्मा 2014 में बनी मराठी क्राइम थ्रिलर ‘रेगे’ का भी विषय थे. इस फिल्म में उनकी भूमिका दिग्गज अभिनेता महेश मांजरेकर ने निभाई थी. लेखक और पत्रकार एस. हुसैन जैदी की ‘द क्लास ऑफ 83’ भी प्रदीप शर्मा और अन्य अधिकारियों द्वारा किए गए एनकाउंटर्स पर आधारित है.
इस वर्ष की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की 2006 में फेक एनकाउंटर मामले में उन्हें दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
मालूम हो कि पुलिस ने बीते 17 अगस्त को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर स्थित एक स्कूल के चौकीदार को किंडरगार्टन की 4 साल की दो छात्राओं के साथ यौन दुर्व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
इस घटना को लेकर पूरे महाराष्ट्र में आक्रोश दिखा था. आक्रोशित लोगों ने सड़क पर आकर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. राज्य में हिंसात्मक स्थिति भी देखने को मिली थी. मामले की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया गया था.
पुलिस के अनुसार, बीते 23 सितंबर को आरोपी अक्षय की ‘जवाबी गोलीबारी’ में मौत हो गई, जब उसने एक पुलिस अधिकारी की बंदूक छीन ली और गोली चला दी.
पुलिस ने कहा कि आरोपी को एक वाहन में ले जाया जा रहा था, तभी उसने सहायक पुलिस इंस्पेक्टर नीलेश मोरे की पिस्तौल छीन ली और हिरासत से भागने की कोशिश में उसे लेकर जा रही टीम पर गोली चला दी. पुलिस के अनुसार, आरोपी ने तीन राउंड फायरिंग की, जिसमें मोरे और दो अन्य घायल हो गए.
यह घटना कथित तौर पर ठाणे जिले के मुंब्रा बाईपास के पास हुई. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी को उसकी पूर्व पत्नी द्वारा 2021 में दर्ज किए गए यौन उत्पीड़न के मामले की जांच के लिए गठित क्राइम ब्रांच की एसआईटी द्वारा ठाणे ले जाया जा रहा था.
इस बीच, आरोपी के माता-पिता ने पुलिस के बयान पर सवाल उठाया और पूछा कि जब उसके हाथ बंधे हुए थे और चेहरा ढका हुआ था, तो वह उन पर गोली कैसे चला सकता है. उन्होंने कहा कि वे उसका शव नहीं लेंगे और मामले में नामजद स्कूल प्रबंधन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
इस बीच, विपक्ष ने सवाल उठाया कि हथकड़ी लगा हुआ आदमी बंदूक कैसे छीन सकता है और आरोप लगाया कि आरोपी की मौत एक ‘एनकाउंटर’ हो सकती है. फिलहाल महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है.
-भारत एक्सप्रेस
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