Delhi News: भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम के आरोपी सीआरपीएफ के डीलिंग क्लर्क को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया कि उसके खिलाफ अभियोजन के लिए दी गई मंजूरी अवैध थी. अदालत एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोपी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में डीलिंग क्लर्क के रूप में काम करता था. उस पर रिश्वत लेने का आरोप था.
आरोपी ने तर्क दिया था कि उसके खिलाफ अभियोजन के लिए दी गई मंजूरी अवैध थी क्योंकि यह बिना सोचे-समझे और संबंधित सामग्री को ध्यान में रखे बिना यंत्रवत् दी गई थी. राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने अपने आदेश में सबसे पहले इस बात पर विचार किया कि क्या आरोपी संबंधित समय अवधि में सरकारी कर्मचारी था. अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही, कार्यालय आदेशों की विषय-वस्तु और सीआरपीसी के तहत उसकी जांच के दौरान आरोपी के बयान के आधार पर आरोपी को लोक सेवक पाया.
अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने यह दिखाने के लिए कोई सामग्री रिकॉर्ड पर नहीं रखी कि सीबीआई ने मंजूरी देने वाले प्राधिकारी-गृह मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक कार्यालय के समक्ष किस तारीख को मंजूरी के लिए आवेदन किया था.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने मंजूरी देने वाले प्राधिकारी के कार्यालय से घटनाओं के कालक्रम को स्थापित करने के लिए कोई रिकॉर्ड नहीं मांगा, जिसके कारण मंजूरी दी गई.
अदालत ने कहा जिस तारीख को मंजूरी आदेश पारित किया गया था यानी 5 जुलाई, 2018 और तत्कालीन अतिरिक्त लेखा महानियंत्रक के हस्ताक्षर के नीचे की तारीख 13 जुलाई, 2018 अलग-अलग थी.
— भारत एक्सप्रेस
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