मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिसको लेकर सभी दल सियासी जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं. चंबल के बीहड़ में आतंक का पर्याय रहे डकैत मलखान सिंह बीते दो दिनों से चर्चा में हैं. मलखान सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया. जिसको लेकर सियासी गलियारों में मलखान सिंह सुर्खियों में हैं.
मलखान सिंह बीहड़ के खूंखार डकैतों में से एक थे. उनका नाम सुनते ही लोग कांप उठते थे. मलखान सिंह के बागी बनने के पीछे एक लंबी कहानी है. जुल्म और प्रताड़ना का शिकार हुए मलखान सिंह ने हथियार उठा लिया. गांव के सरपंच से उनकी दुश्मनी ने मलखान को बागी बना दिया.
मलखान सिंह मध्य प्रदेश के भिंड जिले के बिलाव गांव के रहने वाले हैं. कहा जाता है कि गांव के सरपंच से दुश्मनी और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्होंने बगावत का रास्ता चुना. कहा तो ये भी जाता है कि मलखान सिंह खुद को कभी डकैत कहलवाना पसंद नहीं करते थे. उनका कहना था कि वे बागी हैं.
मलखान सिंह ते गांव में एक मंदिर से जुड़ी जमीन थी. जिसपर सरपंच कैलाश पंडित ने अवैध कब्जा कर रखा था. जिसको लेकर मलखान सिंह काफी नाराज थे और किसी भी हाल में जमीन को सरपंच के कब्जे से मुक्त करवाना चाहते थे. साल 1972 में जमीन को लेकर सरंपच से मलखान सिंह का विवाद हो गया. इसी विवाद ने मलखान सिंह को हथियार उठाने पर मजबूर कर दिया.
मलखान सिंह बंदूक उठाने के बाद बीहड़ में पहुंच गए और करीब तीन साल तक वहां रहे. इस दौरान तमाम डकैती की वारदातों को अंजाम दिया. जिसको लेकर मलखान सिंह पर तीन मामले भी दर्ज किए गए. 1979 में मलखान सिंह ने सरपंच कैलाश पंडित को जान से मारने की कोशिश की, लेकिन वो बच निकला. इस घटना में एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई.
इस घटना के बाद मलखान सिंह की ताकत बढ़ने का सिलसिला तेज हो गया. बीहड़ से निकलकर मलखान सिंह ने जालौन को अपना अड्डा बनाया. जहां से भिंड, मुरैना के अलाना यूपी के आगरा, राजस्थान के धौलपुर में कई वारदातों को अंजाम दिया. 1980 आते-आते उसपर 100 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके थे. जिसके बाद पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया.
ये भी कहा जाता है कि मलखान सिंह उस दौर में ऑटोमेटिक रायफल लेकर चलता था. जिसे चलाने में उसको महारत हासिल थी. मलखान सिंह को लेकर एक बात अक्सर कही जाती है कि मलखान सिंह महिलाओं को कभी गलत नीयत से नहीं देखता था. इसके अलावा उसके गिरोह का कोई सदस्य अगर ऐसा करता था तो मलखान सिंह खुद उसको गोली मार देता था.
15 जून 1982 को मलखान सिंह ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. 6 साल तक जेल में रहने के बाद 1989 में उसे सभी मामलों से बरी कर दिया गया. इसके साथ ही उसे जेल से रिहा किया गया. पिछले एक दशक से मलखान सिंह राजनीति कर रहे हैं. अब उन्होंने अपने इस सफर को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.
-भारत एक्सप्रेस
RSS सदस्य शांतनु सिन्हा द्वारा अमित मालवीय के खिलाफ ‘बंगाली’ में एक फेसबुक पोस्ट किया…
गुयाना से भारत लौटने के बाद पीएम मोदी सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट…
महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…
पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…
देश के विभिन्न राज्यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…
एक बेघर व्यक्ति को मारने के बदले में भीड़ ने तय किया कि हाथिनी मैरी…