दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सार्वजनिक स्थानों और भूमि पर अवैध अतिक्रमण के लिए अतिक्रमणकारियों पर नियम बनाने और शुल्क लगाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को अवैध अतिक्रमण की सीमा तक उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा अतिक्रमणकर्ता से वसूले जाने वाले शुल्कों के सावधानीपूर्वक परिमाणीकरण के माध्यम से एक स्पष्ट धारणा होनी चाहिए कि यह बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए होगा। न्यायालय ने कहा कि अतिक्रमणकर्ता से वसूले जाने वाले शुल्क का निर्धारण करने के लिए भूमि-स्वामित्व प्राधिकरण को विभिन्न कारकों पर विचार करना चाहिए, जैसे कि अतिक्रमित भूमि का क्षेत्रफल, वह अवधि जिसके लिए अतिक्रमणकर्ता ने अपने निजी लाभ के लिए अवैध रूप से अतिक्रमित भूमि का उपयोग किया, अतिक्रमित क्षेत्र का बाजार मूल्य या सर्किल रेट या जैसा भी मामला हो।
अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से फुटपाथों और सड़कों पर होर्डिंग, स्टॉल और टेबल और कुर्सियों जैसे फर्नीचर के टुकड़े लगाकर अतिक्रमण इतना बढ़ गया है कि इससे लोगों को फुटपाथों के बजाय सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। भटनागर ने कहा कि फुटपाथों पर अतिक्रमण के कारण लोग सड़कों पर चलने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो रहा है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कमलेश जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किए, जिसमें दिल्ली पुलिस को ‘बुक्स एंड बीन्स’ नामक एक भोजनालय को तेज आवाज में संगीत बजाने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी। भोजनालय ने सार्वजनिक भूमि पर भी अतिक्रमण किया था। न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर डीडीए और एमसीडी ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत वे अतिक्रमणकारियों पर कोई जुर्माना लगा सकें और उनसे उपयोगकर्ता शुल्क या जुर्माना वसूल सकें। इसलिए न्यायालय ने अधिकारियों को इसके लिए एक तंत्र बनाने का निर्देश दिया।
अदालत ने स्थानीय पुलिस को यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि भोजनालय या क्षेत्र के किसी अन्य रेस्तरां द्वारा रात 10 बजे के बाद कोई तेज आवाज में संगीत न बजाया जाए। न्यायालय ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि क्षेत्र में कोई अवैध अतिक्रमण न हो।
-भारत एक्सप्रेस
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