दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में राजधानी की जल निकासी व्यवस्था के प्रबंधन, जल निकायों के पुनरु द्धार, यमुना नदी सहित इसके बाढ़ के क्षेत्रों एवं वर्षा जल संचयन को लेकर जिला स्तरीय समिति के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी स्तर की समिति का गठन किया जो परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेवार होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 30 सितंबर तक 1362 सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन व्यवस्था मुहैया कराई जाए।
पीठ ने सरकार से आगामी मानसून सत्र के दौरान वर्षा जल को एकत्र करने के लिए निचले इलाकों में वर्षा जल संचयन प्रणाली या गड्ढे बनाने की संभावना तलाशने को कहा है। साथ ही इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही है।
उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय कर यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जाना सुनिश्चित करने को कहा है। इसके अलावा यमुना के किनारों पर आर्द्रभूमि और सार्वजनिक स्थल, पार्क, नागरिक सुविधाओं तक पहुंच, बच्चों के लिए मनोरंजन स्थल या खेल का मैदान आदि को हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करने पर विचार करने को कहा है।
पीठ ने कहा कि यमुना किनारे धार्मिक लोग पूजा-पाठ करते हैं और नदी में ठोस अपशिष्ट डाल देते हैं। लोगों की आस्था एवं अपशिष्ट की समस्य से निपटने के लिए डीडीए नदी के किनारे घाटों या चबूतरों का निर्माण करे जिससे उन्हें सहुलियत हो और अपशिष्टों को निपटाने में आसानी हो।
डीडीए पुलों, रेल लाइनों, मेट्रो लाइनों, क्षेत्रीय रेल नेटवर्क आदि के निर्माण के दौरान यमुना नदी में गिराए गए मलबे को हटाया जाना सुनिश्चित करे। सरकार भी अपनी मौजूदा नीति के अनुसार अनाधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी झोपड़ी इलाकों में सीवेज की ठोस व्यस्था करे और उससे निकलने वाले गंदे पानी को सीवरेज प्लांट तक ले जाए जिससे गंदा पानी सीधे यमुना में न गिरे। नदी में उपचारित पानी जाना सुनिश्चित हो।
कोर्ट ने सरकार से ट्रैफिक पुलिस की ओर से वर्ष 2022 में बताए गए 105 जलभराव वाले स्थानों के विकास को लेकर की गई कार्रवाई का रिपोर्ट व जहां विकास कार्य नहीं किया गया है, वहां की कार्य योजना पेश करने को कहा है। उसमें गत वर्ष बताए गए 200 जलभराव वाले स्थानों का उसी उसी तरह का रिपोर्ट भी देने को कहा है। पुलिस ऐसी योजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान सरकार व संबंधित एजेंसियों को सहायता प्रदान करेगी जिससे मानसून में डूबे शहर के बजाय एक सुव्यवस्थित शहर की परिकल्पना सुनिश्चित की जा सके। इस मामले की सुनवाई अब 20 मई को होगी।
-भारत एक्सप्रेस
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