आवारा पशुओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी को आवारा पशुओं की समस्या की सूचना देने के लिए हेल्पलाइन स्थापित करने का निर्देश दिया है. अदालत ने साथ ही दिल्ली यातायात पुलिस को आवारा पशुओं की समस्या की निगरानी करने और तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. अदालत ने दिल्ली सरकार से कार्रवाई के समन्वय के लिए एक विशेष कार्य बल के गठन पर विचार करने को कहा है.
दक्षिण पूर्वी दिल्ली के मीठापुर इलाके के निवासी द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने कई महत्वपूर्ण निर्देश पारित किए हैं.
जस्टिस संजीव नरूला ने कहा एमसीडी को आवारा पशुओं की समस्या की सूचना देने के लिए समर्पित हेल्पलाइन स्थापित करने पर विचार करना चाहिए. इससे त्वरित कार्रवाई और घटनाओं की निगरानी और रिपोर्टिंग में समुदाय के साथ जुड़ाव की सुविधा होगी. इसके अतिरिक्त यातायात पुलिस को आवारा पशुओं की घटनाओं की निगरानी करने और तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है.
अदालत ने दिल्ली सरकार से एमसीडी, दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियों के प्रतिनिधियों से मिलकर एक विशेष टास्क फोर्स के गठन पर विचार करने का आग्रह किया है. अदालत ने कहा यह टास्क फोर्स कार्रवाई का समन्वय करेगी, संसाधनों को साझा करेगी और आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगी.
अदालत ने कहा एमसीडी को सड़कों पर मवेशियों को न रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जनता के साथ जुड़ना चाहिए. अवैध डेयरियों और आवारा पशुओं के हॉटस्पॉट की पहचान करने और रिपोर्ट करने में समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण है.
याची अधिवक्ता सतीश शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा कि उन्होंने अपने दैनिक आवागमन में आवारा पशुओं द्वारा उत्पन्न खतरे को बार-बार देखा और रिपोर्ट किया. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अधिकारियों से कई शिकायतें करने के बावजूद इन खतरों को कम करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो न केवल यातायात को बाधित करते हैं बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर जोखिम पैदा करते हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि डेयरी फार्म मालिकों के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएँ जताई गई हैं, जो लापरवाही से अपने मवेशियों को सड़कों और राजमार्गों पर खुलेआम घूमने देते हैं. इस प्रथा से न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि दुर्घटनाओं का जोखिम भी बढ़ता है, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा बताई गई घटना से स्पष्ट रूप से स्पष्ट होता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि सड़क सुरक्षा और जन कल्याण सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर तत्काल और निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है. संबंधित अधिकारियों ने इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए कहा कि इस खतरे को कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पहलों में अवैध डेयरियों की उपयोगिता सेवाओं को डिस्कनेक्ट करना शामिल है – जो आवारा मवेशियों का एक प्राथमिक कारण है.
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-भारत एक्सप्रेस
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