दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग के मामले में सभी याचिकाकर्ता को लॉ कमीशन में जाने के लिए कहा है. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट से अश्वनी उपाध्याय समेत 7 याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है.
साल 2019 के मई माह में हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय एकता, लैंगिक न्याय और समानता और महिलाओं की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग करने वाली उपाध्याय की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि वह विधायिका को इस संबंध में कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती. बेंच ने कहा, ”हम विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे पर विचार कर चुका है और याचिकाओं को खारिज कर चुका है.” न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का आदेश स्पष्ट और उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आगे नहीं जाएगा.
समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक कानून सुनिश्चित करेगी, जो सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा.
इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा व्यक्तिगत कानून तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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