हाईकोर्ट ने राजधानी में सब्जियों को उगाने में कीटनाशकों का उपयोग किए जाने को गंभीरता से लिया है. उसने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का खाद्य पदार्थ के नमूने लेने एवं उसकी जांच करने की दर बहुत कम है. उसमें तेजी लाने की जरूरत है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम अरोड़ा की पीठ ने खाद्य एवं आपूर्ति आयुक्त को दिल्ली में खाद्य उत्पादों की जांच की सीमा, खाद्य निरीक्षकों और निरीक्षण दलों की संख्या और नमूने के लिए बजट का संकेत देते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. साथ ही अगली सुनवाई के दिन 7 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया है.
पीठ ने यह निर्देश वर्ष 2010 में शुरू किए गए एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान दिया. इस मामले को सब्जियों को उगाने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल से गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएं, किडनी खराब होना और अन्य बीमारियों के होने के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू किया गया था. पीठ ने सुनवाई के दौरान एफएसएसएआई के वकील से कहा कि हम कौन से खाद्य उत्पाद खा रहे हैं, यह हमें नहीं पता. आप किस दुनिया में रहते हैं, यह भी नहीं पता. पीठ ने यह भी कहा कि एफएसएसएआई एक सर्वोच्च निकाय है और उसे खाद्य उत्पादों की अधिक जांच सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उसे अपनी पर्यवेक्षी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए.
पीठ ने एफएसएसएआई के वकील से पूछा कि क्या आप वास्तविक निगरानी कर रहे हैं? क्या आप खुद ही जांच कर रहे हैं या आप जांच के लिए आवेदन करने वाले लोगों पर निर्भर हैं. वकील ने जवाब दिया कि खाद्य उत्पादों की जांच राज्य के संबंधित खाद्य सुरक्षा आयुक्त करते हैं. इसपर पीठ ने वकील से कहा कि आप कुछ दिशा-निर्देश दे रहे होंगे. क्या आप नमूने की कोई दर निर्धारित करते हैं? कितने नमूने लिए जाने चाहिए? क्या आप दिल्ली में 50 हजार नमूने एक महीने में लेते हैं. वैसे कितने नमूने दिया जाना तय किया है.
पीठ ने फिर टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रति माह 25 नमूनों की वर्तमान जांच दर बहुत कम है. आप दिल्ली की आबादी को देखें. प्रतिदिन कितना खाद्य पदार्थ का उपभोग किया जाता होगा? दिल्ली में आपके पास कितने एफएसओ हैं? नमूनों का पूरा जांच होना चाहिए और वर्तमान संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए.
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