भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अपने घोषित रुख पर कायम रहते हुए दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना (LG VK Saxena) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत राजस्व विभाग, जीएनसीटीडी के तीन अधिकारियों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा जांच को मंजूरी दे दी है. उन्होंने सतर्कता विभाग को भी मामला प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस मामले में शामिल दक्षिण जिले हौज खास के तत्कालीन एसडीएम का केस भी एक सप्ताह के भीतर विजिलेंस विभाग को सबमिट करने के लिए कहा है.
पूर्व उप-रजिस्ट्रार डीसी साहू, पूर्व कानूनगो रमेश कुमार और पूर्व तहसीलदार अनिल कुमार के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी गई है, जो पहले हौज खास, दक्षिण जिला, राजस्व विभाग, एनसीटी दिल्ली सरकार से जुड़े थे.
यह मामला अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जारी करके डीडीए की जमीन को निजी व्यक्तियों को कथित तौर पर बेचने से संबंधित है. भूमि खसरा नं. 351 को 1965 में डीडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था. 2019 में श्रीमती बाला देवी ने हौज खास के एसडीएम के यहां अर्जी दायर कर खसरा नंबर का सीमांकन कराने की मांग की. भूमि नंबर 351 राजस्व अधिकारियों द्वारा सीमांकन के बाद कुल क्षेत्रफल 44 बीघे और 19 बिस्वा में से 1 बीघे और 5 बिस्वा भूमि के टुकड़े को निजी भूमि के रूप में सीमांकित किया गया.
हालांकि, एक अदालती मामले के दौरान डीडीए ने विपरीत रुख अपनाया और बताया कि डीडीए की जमीन पर अवैध निर्माण था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया है और प्राधिकरण ने जमीन पर कब्जा कर लिया है. राजस्व रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से इंगित करने के बावजूद कि भूमि सरकार (डीडीए) की थी, दक्षिण जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बाला देवी को एनओसी जारी कर दी. इसके बाद, तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार, डीसी साहू, अधिग्रहित भूमि के विक्रय पत्र को पंजीकृत करने के लिए चले गए. धोखाधड़ी के इस कथित कृत्य के परिणामस्वरूप सरकार को गलत राजस्व हानि हुई है.
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चूंकि, सतर्कता विभाग द्वारा इन मामलों की जांच में अत्यधिक देरी हुई थी, इसलिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामलों से निपटने वाले सतर्कता विभाग के अधिकारियों को अधिनियम में निर्धारित समयसीमा का सख्ती से पालन करने और संवेदनशील मामलों में देरी से बचने का निर्देश दिया गया है.
पदभार संभालने के बाद से एलजी सक्सेना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और दिल्ली के जीएनसीटी के विभिन्न विभागों, जिनमें उत्पाद शुल्क, राजस्व, जीएसटी, पीडब्ल्यूडी, अस्पताल, शिक्षा और अन्य शामिल हैं, से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है.
-भारत एक्सप्रेस
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