देश

शख्स ने दायर की थी बांझपन की याचिका, कोर्ट ने की खारिज, बताई ये बड़ी वजह

Delhi High Court Reject Male infertility Petition: उच्च न्यायालय ने एज़ूस्पर्मिया (पुरुष बांझपन का एक रूप) से पीड़ित होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसने पत्नी के व्यभिचार को साबित करने के लिए पत्नी और बच्चे के पितृत्व को साबित करने के लिए रक्त के नमूने लेने का निर्देश देने का आग्रह किया था. पति ने कहा कि बच्चें उसने नहीं बल्कि पत्नी द्वारा व्यभिचार से है.

2008 और 2019 के बीच पति-पत्नी रहे साथ

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने कहा कि बच्चा तब पैदा हुआ था जब दंपति पति-पत्नी के रूप में एक साथ रह रहे थे. इसलिए, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार बच्चे की वैधता के पक्ष में एक धारणा है. पीठ ने कहा इस मामले में विवादकर्ता/दंपति 2008 और 2019 के बीच पति-पत्नी के रूप में एक साथ रहे. इस निर्विवाद तथ्य को देखते हुए, साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 के तहत वैधता के पक्ष में धारणा नाबालिग बच्चे की योग्यता के आधार पर सामने आती है.

पितृत्व पर सवाल न उठाने का लिया था फैसला

अपीलकर्ता/पति के खिलाफ जो बात मायने रखती है वह यह है कि उसने नवंबर 2020 तक बच्चे के पितृत्व पर सवाल नहीं उठाने का फैसला किया, जब उसके द्वारा शुरू की गई तलाक की कार्रवाई में संशोधन के लिए एक आवेदन दायर किया गया. पीठ ने कहा कि क्या पत्नी व्यभिचारी रिश्ते में शामिल थी, जैसा कि पति ने आरोप लगाया है, यह एक ऐसा पहलू है जिस पर सुनवाई के बाद फैसला करना होगा.

पति ने किया था एजुस्पर्मिया दावा

अपनी पत्नी के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए पति ने दावा किया था कि वह एजुस्पर्मिया से पीड़ित है, जो एक चिकित्सा शब्द है जिसका इस्तेमाल ऐसी स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जहां किसी व्यक्ति के शुक्राणु नहीं होते.

पीठ ने कहा कि एज़ूस्पर्मिया के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ का इलाज संभव है जबकि अन्य मामलों में जीवित शुक्राणु को पुनः प्राप्त करना संभव है. जिसका उपयोग आईवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों में किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि यह संभावना के दायरे में है, इसके विपरीत पति के दावे के बावजूद, कि बच्चा उसके पितृत्व को धारण करता है.

यह भी पढ़ें: RBI के एक्शन के बाद Paytm ने कहा- ‘अब हम दूसरे बैंकों पर निर्भर

पितृत्व परीक्षण

पीठ ने कहा हमारी राय में अपीलकर्ता/पति किसी भी तरह से उस बच्चे के हित को प्रभावित नहीं कर सकता जो कार्यवाही में एक पक्ष नहीं है. फैमिली कोर्ट को उन सबूतों को ध्यान में रखना होगा जिससे दोनों पक्ष इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं जैसा कि पति ने सुझाव दिया है कि पत्नी ने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वेच्छा से संभोग किया था. पत्नी के व्यभिचारी संबंध थे या नहीं इसका पता बच्चे का पितृत्व परीक्षण कराए बिना लगाया जा सकता है.

2020 में पुरुष में दायर की थी याचिका

पारिवारिक अदालत द्वारा पत्नी और नाबालिग बच्चे को रक्त के नमूने देने का निर्देश देने की उसकी अर्जी खारिज होने के बाद पति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. पति ने क्रूरता के आधार पर 31 जनवरी 2020 को तलाक के लिए याचिका दायर की थी. 3 नवंबर, 2020 को उन्होंने अपनी तलाक की याचिका में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया और कहा वह एज़ोस्पर्मिया से पीड़ित है. इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि कथित तौर पर उनकी अलग रह रही पत्नी के साथ विवाह से पैदा हुए बच्चे पर उनके पितृत्व की छाप नहीं थी.

-भारत एक्सप्रेस

Dipesh Thakur

Recent Posts

फिनलैंड के दूतावास में ‘ऑल आई वॉन्ट फॉर क्रिसमस’ फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर

फिल्म में रूस-यूक्रेन युद्ध से विस्थापित शरणार्थियों की पीड़ा का सशक्त चित्रण किया गया है.…

18 mins ago

दिल्ली नगर निगम साउथ एक्सटेंशन-2 विद्यालय में मनाया गया विंटर कार्निवल, देखिए तस्वीरें

क्रिसमस विंटर कार्निवल थीम पर दिल्ली में एमसीडी विद्यालय साउथ एक्सटेंशन-2 मध्य क्षेत्र में भव्य…

36 mins ago

भारत ने दुनिया को दिखाई ताकत, जानें Global Fire Power Ranking में किस नंबर पर है

भारत की सैन्य ताकत पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है. भारत की सरकार ने…

41 mins ago

दिल्ली क्राइम ब्रांच की AHTU और AGS टीमों ने 2 नाबालिग और 2 युवतियों को किया बरामद

अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली के Jaitpur और Narela इलाकों से अपहृत युवतियों को नोएडा और…

56 mins ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका को किया खारिज

दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में…

59 mins ago

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो की कुर्सी खतरे में…

अभी हाल में तीन छात्रों की हत्या ने कनाडा की कानून व्यवस्था, भारतीयों की सुरक्षा…

1 hour ago