केंद्र सरकार ने दिल्ली सेवा विधेयक को लोकसभा गुरुवार (3 अगस्त) को बहुमत के साथ पास करा लिया. सरकार अब इसे राज्यसभा में पेश करेगी. माना जा रहा है कि 7 अगस्त को बिल को राज्यसभा के पटल पर रखा जाएगा, लेकिन राज्यसभा में कानूनी दांव-पेंच फंस सकता है. राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के पास बराबर का बहुमत है. ऐसे में अब वो पार्टियां बिल का भविष्य तय करेंगी जो दोनों के साथ नहीं हैं.
बिल को लोकसभा में बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने समर्थन दिया है. ऐसे में राज्यसभा में इन दोनों पार्टियों के 9-9 सांसद हैं. इसलिए ये भी माना जा रहा है कि बीजेपी इन पार्टियों के समर्थन के बाद अब बढ़त बना चुकी है. बीजेडी के सांसद ने कहा कि संसद के पास कानून बनाने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि कानून सही है या गलत है. ऐसा विधेयक ओडिशा या फिर राजस्थान और बंगाल में नहीं लाया जा सकता है. राज्यसभा में अभी कई दल हैं जिनपर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि ये पार्टियां किसके साथ जाती हैं? इन पार्टियों में बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी हैं. राज्यसभा में इनके पास 1-1 सांसद हैं.
तेलंगाना की बीआरएस को लेकर कहा जा रहा है कि ये विपक्ष के साथ जाएगी. क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीएम केसीआर पहले भी मुलाकात कर चुके हैं. मुलाकात के दौरान केसीआर ने केजरीवाल को समर्थन देने का भरोसा दिलाया था. बीआरएस के राज्यसभा में अभी 7 सांसद हैं.
राज्यसभा में संख्या बल की बात करें तो एनडीए के पास 100 सांसद हैं. इसके अलावा बीजेडी और वाईएसआर ने भी समर्थन कर दिया है. ऐसे मे संख्या 118 हो जाती है. इसके अलावा पांच नामित राज्यसभा सदस्य और 3 निर्दलीय हैं. अगर ये सभी सरकार के पक्ष में वोटिंग करते हैं तो बीजेपी का पलड़ा भारी हो जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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