एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव आया। कोई पहली दफा नहीं है जब सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस हुई। सरकार का यह विश्वास टेस्ट इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यहां सदन में शक्ति प्रदर्शन का एक मौका मिलता है। 2024 की सियासी तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती जा रही है। एनडीए बनाम इंडिया की लड़ाई में एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी का लोकप्रिय चेहरा है तो दूसरी तरफ विपक्ष की तरफ से एक बार फिर राहुल गांधी बड़े चेहरे के तौर पर सामने आ रहे हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हो या इंदिरा गांधी सभी ने अविश्वास प्रस्ताव को झेला है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में केवल तीन बार ही सरकार अविश्वास प्रस्ताव की वजह से गिरी है। इस बार भी सरकार को तो कोई खतरा नहीं रहा लेकिन मुद्दा मणिपुर को बनाया गया। दरअसल यह जानते हुए की संख्या बल के आधार पर विपक्ष सदन में कहीं नहीं टिकता इस मुद्दे पर बहस की जा रही है। इस अविश्वास प्रस्ताव की सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां विपक्ष 2024 के एजेंडे को सेट कर रहा है।
विपक्षी एकजुट का मंच तो सज चुका है लेकिन इस मंच के पास अभी तक कोई बड़ा एजेंडा नहीं दिखाई पड़ता है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहले ही स्पष्ट कह चुके हैं कि सिर्फ एक साथ बैठने से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ या बीजेपी के खिलाफ विपक्ष 2024 की जंग जीत नहीं पाएगा। बहुत जरूरी है कि किसी बड़े मुद्दे को एक आंदोलन की तरह सामने रखा जाए। ऐसा भी नहीं है कि महंगाई भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाने का प्रयास न किया गया हो। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही राहुल गांधी ने महंगाई के मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया था। इसके बाद अमीर लोगों का गरीब देश का मुद्दा उठाया गया। बेरोजगारी की बात की गई, केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित बेजा इस्तेमाल की बात की गई, लेकिन इन सब से बात बनती दिखाई नहीं दी। मणिपुर की आग इस वक्त पूरे देश की सियासत को झुलसा रही है।
लिहाजा मणिपुर के मुद्दे को बहुत मुमकिन है 2024 का सबसे बड़ा मुद्दा विपक्ष बनाए। यहां दो मोर्चों पर लड़ाई चल रही है। एक राज्य स्तर पर सीटों के समीकरण पर विपक्षी एकजुट का मंच इंडिया कोशिश कर रहा है कि वह 400 से ज्यादा सीटों पर एक ही उम्मीदवार को उतारे। हालांकि तृणमूल कांग्रेस आम आदमी पार्टी और अन्य दलों के साथ कांग्रेस के समीकरण देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, फिर भी यदि इस प्रयास में विपक्ष कामयाब होता है, तो आने वाले दिनों में बहुत मुमकिन है कि विपक्षी एकजुटता का मंच इस मुद्दे और समीकरणों के साथ आगे बढ़े।
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आज के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का मूल मकसद स्पष्ट तौर पर मणिपुर में सरकार की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना है यही वजह है कि गौरव गोगोई ने सबसे पहले अपनी बात रखनी शुरू की। पीएम मणिपुर क्यों नहीं गए, मौन व्रत क्यों साध रखा है, जैसे सवाल खड़े किए। कुल मिलाकर मणिपुर का मुद्दा राजनीति के गलियारों में शांत होने वाला नहीं है। इसका कितना फायदा विपक्ष को मिलता है यह तो आने वाले चुनाव बताएंगे।
-भारत एक्सप्रेस
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