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जब Devendra Fadnavis ने Indira Gandhi के नाम वाले स्कूल में पढ़ाई जारी रखने से कर दिया था इनकार

Maharashtra Devendra Fadnavis Profile: विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में कई दिनों से चल आ रही रस्साकशी का समापन मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम की घोषणा के साथ हो गया है. गुरुवार को वह एक बार फिर महाराष्ट्र की कमान संभालने जा रहे हैं. इस बार के चुनाव में राज्य में भाजपा (BJP) की जीत का अगर उन्हें शिल्पकार कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

अपने नेतृत्व कौशल और स्पष्ट ​दृष्टिकोण से फडणवीस राज्य की राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक होने के साथ ही महत्वपूर्ण व्यक्ति भी हैं. शायद इसलिए राज्य की सत्ता संभालने वालों की दौड़ में वह सब पर भारी पड़े.

तमाम उतार-चढ़ाव देखा

महाराष्ट्र की राजनीति में उनके वर्तमान पुनरुत्थान को उनके धैर्य, दृढ़ता, लचीलापन, रणनीतिक सोच और अनुकूलनशीलता के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है. उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने पार्टी के प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है. पार्टी को मजबूत करने के लिए बहुत कुछ दांव पर लगाया और विपक्ष को कमजोर करने के लिए रणनीति तैयार की है.

फडणवीस ने राजनीतिक करिअर में उन्होंने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं. 22 जुलाई 1970 को नागपुर (Nagpur) शहर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे देवेंद्र कड़ी मेहनत के बाद इस मुकाम तक पहुंचे हैं. उनका राजनीतिक जीवन बहुत ही कम उम्र में ही शुरू हो गया था.

इंदिरा कॉन्वेंट में पढ़ने से इनकार


इजरजेंसी के समय उनके पिता गंगाधरराव फडणवीस को सरकार का विरोध करने के कारण जेल में डाल दिया गया था. उनके पिता जनसंघ (Jan Sangh) के नेता थे. पिता की गिरफ्तारी का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा था. कहा जाता है कि उन्होंने इंदिरा कॉन्वेंट में अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के नाम पर था. इसके बाद उन्होंने नागपुर के सरस्वती विद्यालय में दाखिला लिया. उन्होंने कानून में स्नातक किया और बिजनेस मैनेजमेंट की भी पढ़ाई की है.

22 साल में पार्षद बने

फडणवीस हमेशा से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं. एक कार्यकर्ता, एक स्वयंसेवक के तौर पर वे आरएसएस के कई अभियानों में शामिल रहे हैं. 1989 में वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हो गए थे. राजनीति के अपने शुरुआती दिनों में वह दीवारों पर पार्टी के पोस्टर लगाते थे. आगे महज 22 साल की उम्र में वह पार्षद बने और 1997 में महज 27 साल की उम्र में नागपुर के सबसे युवा मेयर (Nagpur Mayor) बने.

लगातार 2 बार मेयर रहे

नागपुर के मेयर पद को उन्होंने लगातार 2 बार संभाला. बहुमुखी प्रतिभा और एक जमीनी नेता की अपनी छवि के कारण 2013 में फडणवीस को महाराष्ट्र में भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. यह एक ऐसा पद था, जिसने उनके राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया. वह 1999 से महाराष्ट्र विधानसभा में नागपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 2014 में वे पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.

युवा सीएम-युवा मेयर


वे महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री, देश के इतिहास में दूसरे सबसे युवा मेयर और राज्य में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले केवल दो मुख्यमंत्रियों में से एक हैं. उनके समर्थकों का दावा है कि उनके नेतृत्व ने नागपुर को बदल दिया, जो फडणवीस के साथ ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भी कर्मभूमि है.

राजनीति सूझबूझ

फडणवीस अपनी गहरी राजनीतिक सूझबूझ के कारण भी जाने जाते हैं. उनकी यह प्रतिभा तब निखर कर सामने आई, जब उन्होंने साल 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. मुख्यमंत्री के तौर पर उनके पहले कार्यकाल में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और आर्थिक पहलों की शुरुआत हुई, जिसने महाराष्ट्र को एक औद्योगिक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया. महाराष्ट्र के राजनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र में कई वरिष्ठ राजनेताओं के विपरीत, उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में नहीं जाना जाता है जो अपने विचारों और योजनाओं पर खुलकर चर्चा करते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Verma

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