वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है और इस पर 3 अगस्त को फैसला आएगा. इस तरह से अब 3 अगस्त तक ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे का काम नहीं होगा.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत की सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला 3 अगस्त तक सुरक्षित रखा है और तब तक सर्वे के लिए रोक लगाई गई है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में गुरुवार को तीन बजकर 15 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई. चूंकि मुख्य न्यायाधीश की अदालत में नियमित कार्य पूरा हो गया था, इसलिए जस्टिस दिवाकर ने दोनों पक्षों के वकीलों को बहस करने के लिए कहा.
सुनवाई शुरू होने पर भारतीय पुरात्व विभाग (ASI) के अपर निदेशक ने अदालत को बताया कि एएसआई किसी हिस्से में खुदाई कराने नहीं जा रही है. वह मुख्य न्यायाधीश के सवाल का जवाब दे रहे थे. मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आपका का उत्खनन (एक्सकेवेशन) से क्या आशय है?
एएसआई के अधिकारी ने जवाब दिया कि काल निर्धारण और पुरातत्विक गतिविधियों से जुड़ी किसी गतिविधि को उत्खनन कहा जाता है, लेकिन हम स्मारक के किसी हिस्से की खुदाई (डिगिंग) करने नहीं जा रहे हैं. मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि वाद की पोषणीयता स्वयं सर्वोच्च अदालत में लंबित है और यदि सुप्रीम कोर्ट बाद में इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि यह वाद पोषणीय नहीं है तो पूरी कवायद बेकार जाएगी. इसलिए सर्वेक्षण सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद किया जाना चाहिए. इस मामले में सुनवाई जारी है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला तीन अगस्त तक के लिए सुरक्षित रख लिया और कहा कि निर्णय आने तक एएसआई के सर्वेक्षण पर लगी रोक बरकरार रहेगी.
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