हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम मतदाता सूची में होने के मामले में निचली अदालत की ओर से जारी समन पर रोक लगा दिया है. न्यायमूर्ति अमित बंसल ने इस मामले में सरकार व चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और सुनवाई अगले साल के 1 फरवरी के लिए स्थगित कर दी. निचली अदालत से जारी संबंध को सुनीता केजरीवाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार अपराध तभी बनता है जब कोई व्यक्ति गलत घोषणा प्रस्तुत करता है. इस मामले में रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो साबित करता हो कि झूठी घोषणा की गई है. अदालत ने समन बिना उचित सोच-विचार के जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक निजी शिकायत है. मजिस्ट्रेट की अदालत को समन जारी करने से पहले कम से कम चुनाव आयोग से जांच कराना चाहिए था. इस बीच राज्य की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि शिकायत परिसीमा से बाधित है. कोर्ट ने दलील पर विचार करने के बाद निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी.
तीस हजारी कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने 29 अगस्त, 2023 को सुनीता केजरीवाल को समन जारी किया था. यह आदेश दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता हरीश खुराना की याचिका पर पारित किया गया था. खुराना ने वर्ष 2019 में सुनीता केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि वह दिल्ली के साहिबाबाद (गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र) और चांदनी चौक की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है. यह कहा गया था कि वह अधिनियम की धारा 31 के तहत अपराधों के लिए भी दंडित की जा सकती है जो झूठी घोषणाएं करने से संबंधित है.
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