Delhi Police: राजधानी में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस ने लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाले इंटरनेशनल इमीग्रेशन रैकैट के दो फरार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से फर्जी वीजा और एटीएम कार्ड सहित अन्य चीजें भी बरामद हुई हैं.
इसी साल 16 मार्च को विस्तारा एयरलाइंस द्वारा पेरिस की यात्रा करने वाले तीन यात्रियों सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह के बारे में शिकायत मिली थी, जिन्हें एयरलाइंस द्वारा उतार दिया गया. इनके द्वारा फर्जी वीजा पर यात्रा करने की शिकायत मिली थी. इस मामले को एयरलाइंस द्वारा जर्मन दूतावास के एएलओ को भेजा गया था, जिन्होंने जांच के बाद तीनों वीजा को नकली घोषित कर दिया था.
इसी तरह, 24 मार्च 2022 को एयर इंडिया की फ्लाइट से पेरिस जाने वाले एक अन्य शख्स (सुशील कुमार) की गतिविधि पर शक हुआ, जिसके बाद एयरलाइंस ने जर्मन दूतावास के एएलओ से संपर्क किया. उन्होंने जांच के बाद वीजा को नकली घोषित किया. इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू की गई.
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16 मार्च को पकड़े गए सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह से जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वे उनके कॉमन फ्रेंड के जरिए दिल्ली के उत्तम नगर के रहने वाले गुरिंदर सिंह मोखा और पंजाब के रोपड़ के रहने वाले संदीप कुमार नाम के एजेंट के संपर्क में आए थे. इन्होंने पेरिस जाने के लिए 15 लाख के हिसाब से प्रति यात्री 45 लाख में फ्रांस का फर्जी वीजा देने का वादा किया था. यह डील छत्तीस लाख रुपये में तय हुई थी और यात्रियों ने पांच लाख रुपये बतौर एडवांस दिए थे. इसके बाद आरोपी एजेंटों ने उन्हें मास्टरमाइंड गौरव गोसाईं से मिलवाया जो दुबई में बैठकर दिल्ली से ह्यूमन ट्रैफिकिंग का रैकेट चलाता था.
इसी तरह, दूसरे मामले में गिरफ्तार किए गए हरियाणा के सुशील कुमार से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि वह अपने भाई के जरिए गौरव गोसाईं के संपर्क में आया था, जो टूरिस्ट वीजा पर दुबई गया था. वहां उसके भाई ने गौरव गोसाईं को 50 हजार एडवांस दिए और डील के बाकी 12 लाख रु गौरव को यूरोप आने पर देने की बात तय हुई.
इस मामले में गौरव गोसाईं, गुरविंदर सिंह मोखा और संदीप कुमार को पुलिस ने दबोच लिया और 34 इंटरनेशनल पासपोर्ट, 4 फर्जी वीजा और कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई. सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर की गई पूछताछ से पता चला कि आरोपी भयसिंह भाई और प्रतीक शाह ने फर्जी वीजा और पीआर कार्ड मुहैया कराए थे. भयसिंह ने अपनी गिरफ्तारी के बाद बताया कि वह वीजा और पीआर कार्ड प्रतीक शाह से लेता था. इस मामले में पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाया और 17 दिसंबर को प्रतीक शाह को सूरत से दबोच लिया.
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