दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा गिरफ्तारी और ईडी रिमांड को लेकर दिए गए दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे सकता है.
कोर्ट ने ईडी से कहा कि इसको लेकर वो तैयारी होकर आये.कोर्ट 7 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई जारी रखेगा.जस्टिस संजीव खन्ना व दीपांकर दत्ता की बेंच सुनवाई कर रही है.केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से 12 जनवरी के ईडी के जवाब हवाला दिया और कहा कि ईडी ने अपने जवाब में कहा था कि PMLA की धारा 50 के तहत तलब किया गया व्यक्ति समन के समय आरोपी नहीं होता है. सिंघवी ने यह भी कहा कि केजरीवाल एक सम्मनजनक व्यक्ति है.केजरीवाल इस केस में ना ही आरोपी है और ना ही दोषी है. सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल को 16 मार्च को समन भेजा गया और 21 मार्च को पेश होने को कहा था.इससे यह स्पष्ट है कि केजरीवाल 16 मार्च तक आरोपी नहीं थे.इसपर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जब तक आप गिरफ्तार नहीं हो जाते, आप आरोपी नहीं हैं
केजरीवाल की ओर से सिंघवी ने कहा कि मैंने लिखित में पूछा था कि क्या मैं आरोपी हूं, उनकी अपनी समझ के मुताबिक 16 मार्च तक मैं आरोपी नहीं था, वे 21 मार्च को अदालत में गिरफ़्तारी की आवश्यकता कैसे दर्शाते हैं? सिंघवी ने कहा कि जिन सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है, वे 2023 से पहले के हैं, हर सामग्री जुलाई 2023 जैसी है. मनीष सिसोदिया के मामले में भी यही सबूत भरोसा करते हैं, मनी ट्रेल चार्ट वही था.
सिंघवी ने सेंथिल बालाजी के फैसले का भी हवाला दिया और कहा कि PMLA की धारा 19(1) कोई भी गैर-अनुपालन गिरफ्तारी को रद्द कर देता है. सिंघवी ने कहा कि मेरे खिलाफ पहले सभी सह-आरोपियों ने कुछ बयान नहीं दिया, लेकिन फिर अचानक मेरे खिलाफ बयान देने लगते हैं.यह बयान अविश्वसनीय दस्तावेजों में डाले गए. सिंघवी ने आगे कहा कि एक सरकारी वकील से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह मामले में किसी न किसी तरह आरोपी को सजा दिलाने का प्रयास करे. सिंघवी ने कहा कि पब्लिक प्रॉसिक्यूटर जांच एजेंसी का हिस्सा नहीं होतज्ञ, उन्हें स्वतंत्र रूप से अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. सिंघवी ने कहा कि PMLA की धारा 70 के तहत किसी राजनीतिक दल द्वारा किए गए किसी भी कार्य के लिए उसके संयोजक या अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
सिंघवी ने कहा कि आप आरपी एक्ट के तहत पंजीकृत एक कॉर्पोरेट इकाई नहीं है. जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि क्या ED ने AAP के ख़िलाफ़ कोई मुक़दमा चलाया है? सिंघवी ने जवाब दिया- नहीं, जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा- भविष्य में आप को आरोपी बनाया जाएगा? सिंघवी ने कहा कि लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया जाए, जस्टिस संजीव खन्ना ने सिंघवी की दलील गलत बताया. कहा-प्रभारी व्यक्ति को जिम्मेदार माना जाएगा.जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि विश्वास करने के कारणों में क्या यह उल्लेख किया गया है कि केजरीवाल को धारा 70 के कारण गिरफ्तार किया जा रहा है? सिंघवी ने कहा कि किसी कंपनी का जिक्र मात्र से प्रबंध निदेशक की गिरफ्तारी नहीं हो सकती.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो कंपनी का प्रभारी है.अगर कंपनी द्वारा कोई अपराध किया जाता है, तो कंपनी के साथ-साथ आप भी परोक्ष रूप से उत्तरदायी हैं.कंपनी की परिभाषा में एसोसिएशन शामिल है. सिंघवी ने कहा कि ED कहती हैं कि AAP के पीछे केजरीवाल का दिमाग है.केजरीवाल रिश्वत की मांग में शामिल हैं, लेकिन कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. ED ने धारा 164 के बयान का जिक्र करती है, लेकिन वह भी कमजोर है. सिंघवी ने कहा कि जब 164 का बयान मजिस्ट्रेट की ओर से दर्ज किया जाता है, तब यह मजिस्ट्रेट को देखना चाहिए की बयान स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं, इस पर ED ने कहा कि यह एक सामान्य कानून है, मजिस्ट्रेट बयान पर भरोसा करते हैं.
गिरफ्तारी के सवाल पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जहां तक धारा 19 का सवाल है, हमें जांच करनी है, गिरफ्तारी को संदेह या शंका से नहीं जोड़ा जा सकता, जांच अधिकारी को संतुष्ट होना चाहिए। जस्टिस संजीव खन्ना ने सिंघवी से पूछा कि दिल्ली में चुनाव कब है?सिंघवी ने जवाब दिया कि दिल्ली में 25 मई को चुनाव हैं। 23 मई को चुनाव प्रचार ख़त्म हो जायेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा- चुनाव की तारीख की घोषणा कब हुई थी। सिंघवी ने कहा कि चुनाव की घोषणा 16 मार्च हुई और गिरफ्तारी 21 मार्च को हुई. वही ED की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने दलीलें रखनी शुरू की. एएसजी एसवी राजू ने कहा कि गिरफ़्तारी का आधार नहीं हो सकते लेकिन उन पर विचार किया जा सकता है,वे आखिरी तिनका हो सकते हैं. संजीव जस्टिस खन्ना ने कहा उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. राजू ने कहा कि हाईकोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया. इसके बाद विवेक का इस्तेमाल हुआ और इसके बाद गिरफ्तारी हुई. उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर नही की है.
उन्होंने कहा कि यह केवल आईओ की राय नहीं है. इसे एक मजिस्ट्रेट द्वारा मजबूत किया गया है जिसे इस अदालत द्वारा अधिकार प्राप्त है. इस मामले में, तीसरी खोज यह है कि गिरफ्तार होने से पहले, उन्होंने अंतरिम राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। अगर कोई सामग्री नहीं थी. या सामग्री ऐसी थी जो पूरी तरह से अप्रासंगिक थी तो अदालत गिरफ्तारी को खारिज कर सकती है. न्यायालय का क्षेत्राधिकार बहुत सीमित है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि दूसरा मुद्दा यह है कि अदालत कैसे मूल्यांकन करती है कि आईओ का अपराध के बारे में राय बनाना उचित था या नहीं। इस पर राजू ने कहा कि कोर्ट सामग्री देखेगा, यह एक ऐसा मामला है जहां राय बनाने के लिए सामग्री प्रासंगिक है.
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