Delhi: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) ने भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक ‘ब्राइट स्पॉट’ बताया है. भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. पीएम मोदी और उनकी टीम ने वैश्विक महामारी की विपरीत परिस्थितियों के तत्काल बाद जो आर्थिक रूपरेखा तैयार की उसके परिणामस्वरुप अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर बढ़ती चली गई.
विकास की नई कहानी
राजस्व संग्रह और विवेकाधीन खर्च से लेकर निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में रिकॉर्ड उछाल तक, आधारभूत विकास गति को प्राप्त करने से लेकर मुद्रास्फीति सूचकांकों में निरंतर कमी तक, भारत अब हर पहलू में अपने सावधानीपूर्वक लिए गए निर्णयों का लाभ उठा रहा है.
तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की प्रतिष्ठित पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक सबसे तेज गति से बढ़ रही है. हालांकि इसके पीछे दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों की रणनीति बनाने से लेकर सुधारों और उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने तक लिए गए ठोस निर्णय है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार स्वतंत्र, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान में लगे एक गैर-लाभकारी, बहु-विषयक सार्वजनिक नीति संगठन EGROW फाउंडेशन के एक साथी चरण सिंह ने कहा, “यदि आप वार्षिक डेटा, को देखते हैं तो पता चलता है कि हम 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं. वहीं इसे लेकर 6.8 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था. हमने फिर से अनुमान को पार कर लिया है. यह बहुत सकारात्मक बात है. हम कहां से अधिक हैं? हमने निर्यात पर अच्छा किया है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने सकल स्थिर पूंजी निर्माण किया है.
सरकार की कोशिश हुई कामयाब
मोदी सरकार ने ‘मॉम-एंड-पॉप’ स्टोर्स को सरकार के दायरे में लाने से लेकर, अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण की दिशा में सफल प्रयासों के अनुरूप, देश के कर आधार को चौड़ा करने और लोगों को निचली आर्थिक सीढ़ी को ऊपर की ओर वित्तीय मूवमेंट के लिए पर्याप्त अवसर मिले. भारतीय अर्थव्यवस्था की औपचारिकता ने प्रोत्साहन, सामाजिक सुरक्षा लाभ, ऋण की आसान पहुंच और उन लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं को सुनिश्चित किया जिन्होंने इसका अनुपालन किया और देश के कारोबारी माहौल को पूरी तरह बदल दिया.
अर्थव्यवस्थाओं का डिजिटलीकरण
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सेबी-पंजीकृत और आरबीआई से मान्यता प्राप्त क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल ओम्निबस मेट्रिक्स रिसर्च ऑफ इंटरनेशनल कॉरपोरेट सिस्टम्स के एक अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा ने मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट को लेकर कहा कि “इस रिपोर्ट में, मॉर्गन स्टेनली ने कुछ बहुत महत्वपूर्ण कारकों पर प्रकाश डाला है जैसे कि संबंध में आपूर्ति-पक्ष नीतिगत सुधार. कॉर्पोरेट करों के लिए जो लगभग 26 प्रतिशत के स्तर पर आ गए हैं, अर्थव्यवस्थाओं का औपचारिककरण, जीएसटी संग्रह लगातार आधार पर हर महीने 1.5 लाख रुपये आ रहा है.
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वहीं रियल एस्टेट में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं. बहुत बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं का डिजिटलीकरण हुआ है. लगभग सभी व्यवसायों के देश की वित्तीय प्रणाली में योगदान के साथ सरकार के प्रयासों का दीर्घकालिक प्रभाव फल देने लगा है. और जबकि देश के व्यापक हित के लिए छोटे व्यवसायों पर नज़र रखी गई और उन पर कर लगाया गया, भारत ने यह सुनिश्चित किया कि उसके बड़े व्यवसाय फलते-फूलते रहें और ऐसे तंत्र के साथ आए जो एक निडर कारोबारी माहौल को सक्षम बनाता है.
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