दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगों को नामांकन में आरक्षण कोटा बढ़ाने को लेकर बीएससी (नर्सिंग) विनियम, 2020 में संशोधन पर यशाशीघ्र विचार करे. वह इसकी मांग करने वाली याचिका को बतौर प्रतिवेदन ले और उसपर कानून के तहत चार सप्ताह के भीतर निर्णय करे.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इसके साथ ही इससे संबंधित याचिका को निपटा दिया. नर्सिग नामांकन में दिव्यांगों का आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग करते हुए एक डाक्टर सतेंद्र सिंह ने याचिका दाखिल की थी. उन्होंने ‘प्रवेश नियम और शतरे‘ के खंड 8 को चुनौती दी थी.
पीठ ने कहा कि पेपर बुक के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने आईएनसी को इस तरह की मांग करते हुए कई अभ्यावेदन दिए हैं. उसका आज तक जवाब नहीं दिया गया है. इस दशा में संबंधित अधिकारी उस प्रतिवेदन पर यथाशीघ्र फैसला करे.
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को नए नर्सिग नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। यह नियम दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप हो और चिन्हित किए गए दिव्यांगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाए. इसके साथ ही नियम को अधिसूचित किए जाने से पहले आम लोगों से भी राय लिया जाए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि धारा 8 केवल निचले स्तर पर 40 फीसदी से 50 फीसदी तक के लोको-मोटर विकलांगता वाले के लिए आरक्षण प्रदान करती है. लेकिन यह धारा अन्य विकलांगताओं जैसे कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित, कम दृष्टि, श्रवण दोष, विकलांगता, बौद्धिक विकलांगता आदि को आरक्षण से बाहर करती है. यह धारा बिना किसी वैध कारण के विकलांगता के आधार पर भेदभाव करती है.
-भारत एक्सप्रेस
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