भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने सेमी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है जिनका इस्तेमाल भविष्य में प्रक्षेपण यानों में होगा. बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय से जारी बयान में कहा गया कि तमिलनाडु के महेंद्रगिरी के इसरो प्रोपल्सन कॉप्लेक्स (आईपीसीआर)में हाल में स्थापित सेमी क्रोयोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन ऐंड स्टेट टेस्ट फैसिलिटी में बुधवार को 2000 किलोन्यूटन ताकत वाले सेमी क्रायोजेनिक इंजन का मध्यवर्ती विन्यास पर पहला एकीकृत परीक्षण किया गया.
बयान में कहा गया है कि यह 2000 किलोन्यूटन बल का इंजन विकसित करने की दिशा में पहला कदम है जो तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) और किरोसिन प्रणोदक के समिश्रण से काम करेगा जिसका इस्तेमाल भविष्य के प्रक्षेपण यानों में किया जाएगा. मध्यवर्ती विन्यास, जिसे पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएचटीए) नाम दिया गया है में, थ्रस्ट चैंबर को छोड़कर सभी इंजन प्रणाली होती है.
बयान के मुताबिक यह कम दबाव और उच्च दबाव वाले टर्बो-पंप, गैस जनरेटर और नियंत्रण घटकों सहित प्रणोदक फीड प्रणाली के डिजाइन को परखने के लिए कई परीक्षण किए जाएंगे जिनमें से यह पहला था. इसरो ने बताया कि परीक्षण 15 घंटे तक चला और इस अवधि में इंजन ने शुरू होने के बाद से सभी मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया. एलओएक्स सर्किट के ठंडा होने के बाद, किरोसिन का फीड सर्किट भरा गया था, और एलओएक्स को इंजेक्शन वाल्व खोलकर गैस जनरेटर में प्रवेश कराया गया था. यह सफल परीक्षण आगे के परीक्षणों की श्रृंखला में मददगार साबित होगा.’’
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