जम्मू-कश्मीर सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में मंगलवार (23 जुलाई) को चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. इनमें दो पुलिस कॉन्स्टेबल, स्कूल शिक्षा विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में एक ग्राम स्तरीय कर्मचारी शामिल है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन कर्मचारियों की गतिविधियां कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के प्रतिकूल संज्ञान में आई थीं. जांच में यह पाया गया कि वे हानिकारक गतिविधियों में शामिल थे, जो आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में उनकी संलिप्तता को प्रमाणित करता है.
पुलवामा जिले के गमराज निवासी और पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबल इम्तियाज अहमद लोन आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति, परिवहन और वितरण के लिए सुविधा प्रदान करता था.
बयान में कहा गया है कि स्कूल शिक्षा विभाग में जूनियर असिस्टेंट और कुपवाड़ा जिले के खुरहामा लालपोरा निवासी बाजिल अहमद मीर, लोलाब क्षेत्र में और उसके आसपास ड्रग सिंडिकेट को बढ़ावा देने के अपराध में शामिल था. वह ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों का पूर्ण तस्कर बन गया था जिसका आतंकवादियों/अलगाववादियों के पारिस्थितिकी तंत्र से सीधा संबंध था.
बयान में बताया गया है कि तीसरा व्यक्ति कुपवाड़ा जिले के कलमूना से जम्मू-कश्मीर पुलिस में चयनित ग्रेड कॉन्स्टेबल मुश्ताक अहमद पीर है. सीमावर्ती क्षेत्र का निवासी होने के कारण उसने सीमा पार पाकिस्तान से ड्रग तस्करों के साथ संपर्क स्थापित कर लिया था और उत्तरी कश्मीर बेल्ट में एक कार्टेल चला रहा था. उसका सीमा पार संचालित नार्को-आतंकवादी सिंडिकेट के सरगनाओं के साथ सीधा संबंध था और आतंकवादियों/अलगाववादियों के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ उसका सीधा संबंध था.
आगे कहा गया है कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में ग्राम स्तर का कार्यकर्ता और बारामुला जिले के बसग्रान निवासी मोहम्मद जैद शाह एक कट्टर ड्रग तस्कर है. उसे नियंत्रण रेखा के पार से ड्रग तस्करों से हेरोइन की बड़ी खेप मिली थी और उसने नार्को व्यापार से प्राप्त धन के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका उपयोग रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी/अलगाववादी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए किया जाता है.
बयान में कहा गया है, ‘वह उत्तरी कश्मीर क्षेत्र में ड्रग कार्टेल चलाने में सबसे आगे था और उन व्यक्तियों के साथ लगातार संपर्क में था, जो 1990 में आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान में घुसपैठ कर गए थे और वर्तमान में पीओजेके में बसे हुए हैं.’
बयान में यह भी कहा गया है कि सरकार ने राष्ट्र विरोधी तत्वों के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई है, जो सरकारी सेवा में होने का फायदा उठा रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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