लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM/झामुमो) का झटका लगा है. पार्टी विधायक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन (Sita Soren) ने मंगलवार (19 मार्च) को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गई हैं.
तीन बार की विधायक सीता सोरेन हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं, जिनकी साल 2009 में 39 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी. वह राज्य की जामा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं.
उन्होंने यह कदम यह कहते हुए उठाया है कि उनका परिवार ‘निरंतर उपेक्षा’ का शिकार रहा है और उन्हें ‘पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा अलग-थलग’ कर दिया गया है. सीता झामुमो के केंद्रीय महासचिव का पद भी संभालती हैं. उन्होंने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को पत्र लिखकर कहा कि वह ‘बहुत दुखी मन’ से अपना इस्तीफा दे रही हैं.
पत्र में सीता ने लिखा है, ‘मेरे दिवंगत पति दुर्गा सोरेन, जो झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं. हमें पार्टी और परिवार के सदस्यों ने अलग-थलग कर दिया है, जो मेरे लिए बेहद दुखद है. मुझे उम्मीद थी कि समय के साथ स्थिति में सुधार होगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.’
उन्होंने यह भी लिखा कि उनके दिवंगत पति ने अपने त्याग, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक ‘महान पार्टी’ झामुमो का गठन किया था. उन्होंने कहा कि हालांकि, अब ऐसा नहीं रहेगा.
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उन्होंने कहा, ‘यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ. पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गई है जिनकी दृष्टि और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते. श्री शिबू सोरेन (गुरुजी बाबा) के अथक प्रयासों के बावजूद, जिन्होंने हम सभी को एक साथ रखने के लिए कड़ी मेहनत की, दुर्भाग्य से उनके प्रयास भी विफल रहे. मुझे हाल ही में पता चला है कि मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ भी गहरी साजिश रची गई है. मुझे बहुत दुख है. मैंने दृढ़ता से निर्णय लिया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा.’
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और उनके वफादार चंपई सोरेन के नया मुख्यमंत्री चुना गया था.
अगस्त 2022 में सीता सोरेन ने झारखंड की तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार पर आरोप लगाया था कि यह खनिज समृद्ध राज्य में ‘भूमि की लूट’ को रोकने में अप्रभावी रही है. पार्टी के सूत्रों ने कहा है कि सीता इस बात से नाखुश थीं कि मुख्यमंत्री पद के लिए नामित संभावित उम्मीदवारों में से एक हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन थीं.
सीता ने इस तरह के किसी भी कदम का विरोध किया था. उन्होंने कहा था, ‘मैं पूछना चाहूंगी कि केवल कल्पना सोरेन ही क्यों, जो विधायक भी नहीं हैं और उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव भी नहीं है. किस परिस्थिति में उनका (कल्पना) नाम अगले मुख्यमंत्री के रूप में उछाला जा रहा है, जबकि पार्टी में इतने सारे वरिष्ठ नेता हैं.’
-भारत एक्सप्रेस
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