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यासीन मलिक से जुड़ी खबर! अलगाववादी नेता से जुड़े इस मामले की सुनवाई से जस्टिस अमित शर्मा ने खुद को किया अलग

कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मृत्युदंड की मांग करने वाली एनआईए की अपील पर सुनवाई से न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने खुद को अलग कर लिया. यासीन मलिक को आतंकवाद वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. न्यायमूर्ति शर्मा 2010 में एनआईए के लिए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के रूप में मामले में पेश हो चुके है.

अब 9 अगस्त को होगी सुनवाई

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ के समक्ष अपील पर सुनवाई तय थी, लेकिन न्यायमूर्ति शर्मा के अलग होने पर न्यायालय ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आदेशों के अधीन मामले को 9 अगस्त को एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया है.

यासीन मलिक ने की थी ये मांग

पिछले साल पारित एक आदेश के अनुसार यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए तिहाड़ जेल से अदालत में पेश किया गया. इस साल की शुरुआत में एकल न्यायाधीश ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि जेल अस्पताल में मलिक को उचित चिकित्सा प्रदान की जाए. मलिक ने एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार और जेल अधिकारियों को उचित निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें आवश्यक चिकित्सा उपचार के लिए एम्स या किसी अन्य अस्पताल में शारीरिक रूप से रेफर किया जाए, क्योंकि वह हृदय और गुर्दे से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं.

मई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने मलिक को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मलिक ने मामले में दोषी होने की दलील दी थी और अपने खिलाफ आरोपों का विरोध नहीं किया था. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए, विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि अपराध सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दुर्लभतम मामलों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता. न्यायाधीश ने मलिक की इस दलील को भी खारिज कर दिया था कि उन्होंने अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन किया था और एक शांतिपूर्ण अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व कर रहे थे.

यह भी पढ़ें- देश में बच्चों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने जाहिर की चिंता, स्वास्थ्य मंत्रालय को दिया ये आदेश

अदालत ने मार्च 2022 में इस मामले में मलिक और कई अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए थे. जिन अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए थे और जिन पर मुकदमा चलाया गया था, उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे शामिल थे. हालांकि, अदालत ने कामरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सईदा आसिया फिरदौस अंद्राबी नामक तीन लोगों को बरी कर दिया था.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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