दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि गुमशुदा बच्चों के मामले में शिकायत प्राप्त होते ही जांच शुरू हो जाए. पुलिस को 24 घंटे तक इंतजार नहीं करना चाहिए. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ मामले में सुनवाई कर रही है.
कोर्ट ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) यह स्पष्ट रूप से बताती है कि गुमशुदा बच्चों के मामलों में तुरंत और तत्परता से कार्रवाई की जानी चाहिए. इसलिए, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि बच्चा 24 घंटे में घर लौट सकता है और इसलिए पुलिस इंतजार कर सकती है.
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि पहले 24 घंटे की अवधि महत्वपूर्ण अवधि होती है, जब लापता व्यक्ति या बच्चे का पता लगाने के लिए उठाए गए कदम सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं. अदालत ने कहा पुलिस आयुक्त मामले को देखें और सभी पुलिस स्टेशनों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दें कि 24 घंटे की प्रतीक्षा अवधि पूरी तरह से अनावश्यक है और वास्तव में जब भी कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो जांच/जांच तुरंत शुरू होनी चाहिए. उपरोक्त एसओपी और साथ ही ऊपर की गई टिप्पणियों के मद्देनजर, सभी पुलिस स्टेशन यह सुनिश्चित करेंगे कि लापता बच्चों के मामले में जांच/जांच शुरू करने के लिए 24 घंटे की प्रतीक्षा अवधि नहीं होगी.
कोर्ट ने यह निर्देश विनोद नामक व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए, जिसमें उसने अपनी नाबालिग बेटी को पेश करने का अनुरोध किया था, जो 19 फरवरी, 2024 को लापता हो गई थी. विनोद ने बताया कि उसने तुरंत शिकायत दर्ज कराने के लिए नांगलोई पुलिस थाने का रुख किया, लेकिन पुलिस ने उसे 24 घंटे इंतजार करने को कहा. मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने जांच मानव तस्करी निरोधक इकाई (अपराध शाखा) को सौंप दी और उन्हें एक सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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