जस्टिस यसवंत वर्मा.
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया है. शुक्रवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया. राष्ट्रपति की मंजूरी और सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया गया.
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की बार काउंसिल ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया था. वकीलों ने हड़ताल भी शुरू कर दी थी. गुरुवार को बार काउंसिल के छह सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और कॉलेजियम से मुलाकात कर ट्रांसफर पर पुनर्विचार की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल कमेटी कर रही है. यदि रिपोर्ट में कुछ गलत पाया गया, तो FIR दर्ज होगी या फिर मामला संसद को भेजा जाएगा.
14 मार्च को होली के दिन जस्टिस वर्मा के घर आग लग गई थी. जब फायर सर्विस की टीम आग बुझाने पहुंची, तो स्टोर रूम में अधजले 500-500 रुपये के नोटों से भरी बोरियां मिलीं. तभी से यह मामला चर्चा में बना हुआ है.
जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR की मांग को लेकर एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य वकीलों ने याचिका दायर की थी. याचिका में 1991 के के. वीरस्वामी केस के फैसले को चुनौती दी गई थी. इस फैसले के तहत CJI की अनुमति के बिना किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता.
दिल्ली हाईकोर्ट के प्रशासनिक पैनल से भी जस्टिस वर्मा को हटा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, 26 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट में प्रशासनिक समितियों का पुनर्गठन किया गया था, जिसमें जस्टिस वर्मा को शामिल नहीं किया गया.
सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा इसी हफ्ते पेश हो सकते हैं. इसके लिए उन्होंने बुधवार को कई वरिष्ठ वकीलों से मुलाकात की. एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति काटजू, तारा नरूला, स्तुति गुर्जर सहित अन्य वकीलों ने उनसे मुलाकात की.
सूत्रों के मुताबिक, ये वकील जांच कमेटी के सामने दिए जाने वाले जवाबों को फाइनल करने में मदद कर रहे हैं. जस्टिस वर्मा अपना अंतिम जवाब तैयार कर रहे हैं, जो इस मामले में आगे की कार्रवाई का आधार बनेगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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