2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से जुड़े दो मामलों में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 10 लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन पक्ष के 3 गवाहों के बयानों और साक्ष्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने सबूत के अभाव में 10 लोगो को बरी कर दिया है.
कोर्ट ने जिन लोगों को सबूत के अभाव में बरी किया है उनमें मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद उर्फ राजा, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिल शामिल है. दोनों मामलों को गोकुलपुरी थाने में दर्ज किया गया था. सभी आरोपियों के खिलाफ 147, 148, 149,436, 454, 392, 452, 188, 153 A, 427 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.
शिकायतकर्ता सतीश कुमार ने 1 मार्च 2020 को थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के मुताबिक 24 फरवरी को करीब ढाई बजे एक से डेढ़ हजार दंगाइयों की भीड़ उसके बृजपुरी स्थित तीन मंजिला मकान में घुसे. ये सभी हथियारों से लैस थे. इन लोगों ने उसके मकान में स्थित मोबाइल की दुकान में लूटपाट और तोड़फोड़ की.
शिकायतकर्ता के अनुसार, करीब चार साढ़े चार बजे 50-60 की संख्या में फिर एक भीड़ आई और धमकी दी कि तुरंत घर छोड़ कर जाओ वरना जिंदा जला दिए जाओगे. भीड़ ने करीब 20 तोले सोने और करीब ढाई सौ ग्राम चांदी के जेवर और डेढ़ लाख रुपये नकदी लूट ली. भीड़ ने उनके घर में आग लगा दी जिससे कई फर्नीचर, वॉशिंग मशीन, गैस सिलेंडर सहित कई समान जल गए.
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2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी के बीच मुस्लिम महिलाएं सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी. तभी कुछ लोगों ने वहां हमला कर दिया था. जिसके बाद इलाके में दंगा शुरू हो गया था. इस दंगे में 50 लोगों की मौत हो गई थी. जिसको लेकर अब तक 760 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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