Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए बुधवार को मतदान संपन्न हो गए. कर्नाटक में शाम 5 बजे तक 65.7 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है लेकिन जेडीएस की मौजूदगी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 113 सीटें हासिल करना जरूरी है. ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं. हालांकि, 2018 में की बात करें तो उस वक्त भी विधानसभा चुनाव में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था.
2018 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक की जनता ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया था. चुनाव परिणामों के बाद, 224 सदस्यों वाले सदन में भाजपा 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई थी. लेकिन कांग्रेस और जेडीएस ने 116 (कांग्रेस 76, जेडीएस 37, तीन निर्दलीय) की संख्या के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया और एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम बने.
हालांकि यह गठबंधन एक साल भी नहीं चला. कांग्रेस-जद (एस) के 17 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई. कर्नाटक में एक बार फिर भाजपा ने सरकार बनाई और पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा ने राज्य के सीएम के तौर पर शपथ ली. लेकिन उन्होंने 26 जुलाई 2021 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
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येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बसवराज बोम्मई को राज्य का सीएम बनाया गया, जो पूर्व सीएम की तरह ही लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वहीं बसवराज बोम्मई के सीएम बनने के बाद कांग्रेस का बीजेपी पर हमला बढ़ गया. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बोम्मई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कहा कि 40 प्रतिशत कमीशन से बीजेपी सरकार ने पूरे कर्नाटक को लूट लिया.
दूसरी तरफ, जगदीश शेट्टार जैसे दिग्गज नेता ने चुनावों से पहले पाला बदल लिया और कांग्रेस का दामन थाम लिया, जो बीजेपी के लिए बड़ा झटका था. चुनाव प्रचार की बात करें तो कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस ने पूरे दमखम से प्रचार किया है और अपनी-अपनी जीत का दावा किया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि तमाम दावों के बीच हालिया विधानसभा चुनाव में कर्नाटक की जनता किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत देती है या फिर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है.
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