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लखीमपुर खीरी हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (22 जुलाई) को पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) से संबंधित मामले में जमानत दे दी. इस हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी.

इसके अलावा पहले दी गई अंतरिम जमानत को नियमित जमानत का आदेश देते हुए पीठ ने आशीष मिश्रा को लखनऊ या दिल्ली में ही रहने का निर्देश दिया है.

पिछले साल 25 जनवरी को शीर्ष अदालत ने हिंसा की ‘दुर्भाग्यपूर्ण भयावह घटना’ में आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत दी थी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले में किसानों को भी जमानत दी और ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया.

इस मामले में अब तक 117 गवाहों में से केवल सात के ही बयान लिए गए हैं. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत से कार्यवाही में तेजी लाने को कहा.

पीठ ने क्या कहा

पीठ ने कहा, ‘सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम आदेश को अंतिम रूप दिया जाता है. हमें सूचित किया गया है कि 117 गवाहों में से अब तक सात की जांच की जा चुकी है. हमारे विचार में मुकदमे की कार्यवाही में तेजी लाने की जरूरत है.’


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पीठ ने कहा, ‘हम ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हैं कि वह लंबित अन्य समयबद्ध या जरूरी मामलों को ध्यान में रखते हुए समय-सारिणी तय करे, लेकिन लंबित विषय को प्राथमिकता दे.’

क्या है मामला

अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी, जब किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे. मृतक लोगों में शामिल चार किसानों को एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (SUV) ने कुचल दिया था.

इसके बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी, जिससे विपक्षी दलों और केंद्र के अब निरस्त कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान समूहों में आक्रोश फैल गया था.

पिछले साल 6 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने किसानों की मौत के मामले में अजय मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य दंडात्मक कानूनों के तहत आरोप तय किए थे, जिससे मुकदमे की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया था.

-भारत एक्सप्रेस

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