UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव-2024 में अब अधिक वक्त नहीं रह गया है. इसको देखते हुए प्रदेश में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में लगे हुए हैं. माना जाता है कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर जाता है, इसलिए यहां पर राजनीतिक दल खूब पसीना बहा रहे हैं. वहीं यूपी की सभी 80 लोक सभा सीटों को जीतने का दावा करने वाली सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा भी योजना बनाने में जुटी है. साल 2019 के आम चुनाव के समीकरणों को दुरुस्त करने में जुटी भाजपा उन कील-कांटों को ठीक कर रही है, जहां उसे पिछली बार हार मिली थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी में पूर्वांचल के काशी क्षेत्र की 14 में से 12 और गोरखपुर क्षेत्र की 13 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार सभी सीटों पर लक्ष्य साधने की तैयारी की जा रही है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में तीन से चार महीने का समय रह गया है. लोकसभा के लिहाज से देश में सबसे ज्यादा सीटें उत्तर प्रदेश में हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल इसी प्रयास में हैं कि प्रदेश की 80 सीटों में बड़ा हिस्सा जीतने में अगर सफल हो गए तो केंद्र की राजनीति में उनका दबदबा बना रहेगा. वहीं तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतकर उत्साहित बीजेपी के पास एक प्रमुख चेहरा पीएम मोदी का है. वहीं यह भी कहा जा रहा था कि साल 2017 के बाद राज्य में आई योगी सरकार ने केंद्र की नीतियों को यूपी में प्राथमिकता से लागू किया जिससे एक लाभार्थी वर्ग बना जिसे पार्टी ने वोट बैंक में तब्दील किया. हालांकि इस बार बीजेपी के लिए राह आसान दिखाई नहीं दे रही है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले ही सभी विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने की तैयारी कर ली है. इस बार भाजपा को अपने ही गढ़ में बड़ी चुनौती मिलने वाली है. आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक शिवपाल सिंह यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा ने जोर पकड़ रखा है. बता दें कि उन्होंने तो अभी से पूर्वांचल में ही डेरा जमा लिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा कर पूर्वांचल में पार्टी की पेंच टाइट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. दूसरी ओर यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी वाराणसी से ही ताल ठोक रहे हैं. माना जा रहा है कि ब्राह्मण चेहरा होने के कारण वह पूर्वांचल में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं. दूसरे उनका पूर्वांचल में भी बड़ा असर माना जाता है.
इसी के साथ ही बहनजी की पार्टी बहुजन समाज पार्टी भी पूर्वांचल को साधने के लिए जोर लगा रही है. बसपा के नए उत्तराधिकारी आकाश आनंद को मायावती ने अन्य राज्यों की जिम्मेदारी सौंपने के बाद खुद यूपी पर फोकस कर रही हैं. पूर्वांचल में बसपा ने जौनपुर और घोसी की सीटें जीती थीं. तो वहीं बसपा की अब कोशिश है कि वह एक ओर जहां इन सीटों पर दोबारा जीत हासिल करे वहीं अन्य सीटों पर भी अपना दबदबा बढ़ाए. फिलहाल इस बार के लोकसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस तरह से लोकसभा की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अपने समीकरण दुरुस्त करती है और किस तरह से कांग्रेस, सपा और बसपा का मुकाबला करती है?
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