देश

Madhya Pradesh High Court का राज्य सरकार से सवाल- OBC को 27 फीसदी आरक्षण क्यों नहीं?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह सवाल किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है. कोर्ट ने सरकार को इस बारे में स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया है. इस मामले में एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस संस्था ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें ओबीसी को उनकी जनसंख्या के अनुसार आरक्षण देने की मांग की गई थी.

मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दा बन चुका है. ओबीसी को उनके जनसंख्या अनुपात के आधार पर आरक्षण देने की मांग पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है. इस मामले में 86 याचिकाओं पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है और इस पर 20 जनवरी, 2025 को अंतिम फैसला सुनाया जाएगा.

सरकार को एक महीने का समय

सुनवाई के दौरान सरकार ने 10 दिन का समय मांगा, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे एक महीने का समय दिया. कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने ही बनाए कानून के खिलाफ पैरवी कर रही है. सरकार की ओर से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा है.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामलों को 5 भागों में विभाजित करने का आदेश दिया है:

1. वो याचिकाएं, जो ओबीसी को 27% आरक्षण देने के विरोध में हैं.

2. वो याचिकाएं, जो ओबीसी को 27% आरक्षण देने के समर्थन में हैं.

3. वो याचिकाएं, जो सामान्य प्रशासन विभाग और महाधिवक्ता के 87:13% फॉर्मूले को चुनौती देती हैं.

4. वो याचिकाएं जो होल्ड किए गए अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती देती हैं.

5. वो याचिकाएं, जो ओबीसी को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग करती हैं.

अंतिम सुनवाई और आगामी कदम

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को अंतिम बहस के लिए एक मौका देने का निर्णय लिया है और 20 जनवरी, 2025 को अंतिम सुनवाई के बाद ओबीसी आरक्षण के कानून की वैधानिकता पर अपना फैसला सुनाएगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार से अपेक्षित जवाब नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है और सरकार को एक महीने का समय दिया है.

ओबीसी आरक्षण पर केंद्र की नीति

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि 1950 में भारत सरकार ने एससी और एसटी के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान किया था, जो आज भी लागू है. इसके बाद 1990 में मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी आरक्षण लागू किया गया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस फैसले को ओबीसी के जनसंख्या अनुपात के आधार पर फिर से लागू किया जाना चाहिए.

ओबीसी आरक्षण की मांग

मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मामला जटिल होता जा रहा है. उच्च न्यायालय ने सरकार से स्पष्ट जवाब देने को कहा है और इसके बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. ओबीसी को उनके जनसंख्या अनुपात के आधार पर आरक्षण देने की मांग देशभर में उठाई जा रही है, और इसका भविष्य अब हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा.

-भारत एक्सप्रेस

महेंद्र यादव

Recent Posts

“BJP को वोट देने का मतलब है सुसाइड करना”, Arvind Kejriwal बोले- भाजपा वाले एक साल में आपकी झुग्गी तोड़ देंगे

Arvind Kejriwal ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते दिनों…

1 min ago

डोनाल्ड ट्रंप के शपथ समारोह में शामिल होंगे विदेश मंत्री एस. जयशंकर, 20 जनवरी को जुटेंगे दुनियाभर के दिग्गज

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.

1 hour ago

मार्केट आउटलुक: तिमाही नतीजे, महंगाई और आर्थिक आंकड़ों से तय होगी Share Market की चाल

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का सेंटीमेंट लगातार नकारात्मक बना हुआ है और पिछले हफ्ते एफआईआई…

1 hour ago

Delhi Assembly Election: “मुझे चुनाव लड़ने के लिए 40 लाख की जरूरत”, सीएम Atishi Singh ने जनता से लगाई आर्थिक मदद की गुहार

सीएम आतिशी सिंह ने कहा कि लोगों ने AAP को अपना समर्थन दिया है, हमें…

2 hours ago

Maha Kumbh Mela 2025: मुख्यमंत्री के निर्देश पर सुरक्षित महाकुंभ को लेकर एनएसजी ने किया मॉक ड्रिल

महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर…

2 hours ago

युवा शक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत मंडपम में स्वागत करने के लिए तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली दौरे को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है. विशेष…

2 hours ago