देश

सड़क हादसे में गंवा दिया एक पैर… फिर भी नहीं हारी हिम्मत और बन गईं पैरा बैडमिंटन में वर्ल्ड चैंपियन; पढ़ें इस बहादुर बेटी की सफलता की कहानी

Mansi Joshi: जिंदगी अच्छी-खासी चल रही थी और जीवन सही दिशा में जा रहा था. सफलता बस कदम चूमने की वाली थी कि एक एक्सीडेंट ने पूरी जिंदगी का रुख ही बदल दिया लेकिन इस बेटी ने जिंदगी के इस संघर्ष में हार नहीं मानी और फिर जो किया, उसे पूरी दुनिया ने देखा और उसकी हिम्मत को भी सराहा.

हम यहां पर बात कर रहे हैं मानसी जोशी की, जिनकी प्रेरणादायक यात्रा की कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और लोगों को प्रेरणा दे रही है. 11 जून 1989 को अहमदाबाद, गुजरात में जन्मी मानसी का जीवन कभी आसान नहीं रहा. उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन कभी भी हार मानने का नाम नहीं लिया. अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, जब उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की. इसके बाद उनको ये मालूम था कि जीवन उन्हें किस दिशा में ले जाएगा.

ये भी पढ़ें-लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने ₹10 हजार करोड़ का सोना और तांबा तलाशने में पाई सफलता, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

घटना को लिया चुनौती की तरह

मानसी के साथ 2011 में एक सड़क दुर्घटना हुई थी, जिसने मानसी की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया था. इस हादसे में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया था लेकिन अपने सपनों को नहीं. वह घटना उनके लिए एक ऐसी चुनौती थी, जिसने उन्हें तोड़ने की कोशिश की, लेकिन मानसी ने इसे अपनी ताकत बना लिया. जब दुनिया ने उन्हें कमजोर समझा, तब उन्होंने अपनी हिम्मत से सभी को चौंका दिया. उन्होंने पैरा-बैडमिंटन को न केवल अपनाया, बल्कि इसमें अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनकी यात्रा एक मिसाल है, जो बताती है कि जीत हमेशा मेडल में नहीं, बल्कि उस जज्बे में होती है, जो हमें हर मुश्किल में लड़ने की ताकत देता है. मानसी जोशी ने यह साबित कर दिया है कि जीवन की सबसे बड़ी जीत हमारे दिल में होती है, जो हमें किसी भी परिस्थिति में हरा नहीं सकती.

इस तरह चढ़ी सफलता की सीढ़ी

मानसी ने अपने संघर्ष की कहानी को कड़ी मेहनत से संजोया है. उन्होंने 2015 में इंग्लैंड में आयोजित वर्ल्ड पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2019 में, जब उन्होंने बासेल, स्विट्ज़रलैंड में स्वर्ण पदक जीता, तो वह केवल एक जीत नहीं थी, वह उनके समर्पण, उनकी संघर्षशीलता और उनकी अदम्य इच्छाशक्ति की गवाही थी. वह पल उनके लिए, उनके परिवार के लिए और उन लाखों लोगों के लिए गर्व का पल था, जो उनसे प्रेरणा लेते हैं.

उम्मीद की किरण हैं मानसी

सोशल मीडिया पर वायरल एक लेख में उनके लिए लिखा गया है कि मानसी जोशी न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि वह उन सभी के लिए एक उम्मीद की किरण हैं, जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. उन्होंने साबित कर दिया कि विकलांगता केवल एक स्थिति है, वह कोई बंधन नहीं है. असली शक्ति तो उस इच्छाशक्ति में होती है, जो हमें हर हाल में आगे बढ़ने का साहस देती है. मानसी की कहानी यह सिखाती है कि हम चाहे कितनी भी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हों, अगर हमारे पास आत्म-विश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी चीज हमें रोक नहीं सकती.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

Recent Posts

खाड़ी के कई देश पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने से क्यों कर रहे इनकार?

पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान से बड़ी संख्या में संदिग्ध यात्री विदेश गए हैं जो…

4 mins ago

बड़ी खबर! खालिस्तानी कमांडो फोर्स के तीन आतंकियों को यूपी और पंजाब पुलिस ने किया ढेर, दो AK-47 बरामद

उत्तर प्रदेश और पंजाब पुलिस ने पीलीभीत में संयुक्त कार्रवाई में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के…

22 mins ago

Delhi Air Pollution: शीतलहर के बीच दिल्ली में फिर से होने लगी घुटन, AQI ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचा

प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने के बाद 16 दिसंबर से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रेडेड…

1 hour ago

Maharashtra: पुणे में डंपर ने फुटपाथ पर सो रहे 9 लोगों को कुचला, 3 की मौके पर मौत

महाराष्ट्र के पुणे से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है. पुणे में एक…

1 hour ago