दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह राजधानी के अस्पतालों में सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को कारगर बनाने के लिए उसकी ओर से गठित सात सदस्यीय समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करें. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मुख्य सचिव से यह भी कहा कि वे सभी सिफारिशों को पूरी तरह से लागू होने तक मासिक बैठकें करें. साथ ही 15 अक्टूबर को या उससे पहले कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करें. पीठ ने इसके साथ ही सुनवाई 22 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दिया.
समिति ने सुझाव दिया है कि दिल्ली की सभी सरकारी अस्पताल के वेबसाइट को एनआईसी या चयनित वेंडर की मदद से उपलब्ध दवा, प्रत्यारोपण और उपकरणों के वास्तविक समय अपडेट को लेकर डायनमिक वेबसाइट के रूप में अपग्रेड किया जाए.इसके अलावा सभी अस्पतालों के संबंधित विभागों की वेबसाइट पर दवाओं, प्रत्यारोपण और उपकरणों की सूची आदि को इलेक्ट्रानिक डिस्प्ले पर दिखाया जाए जिससे रोगी को उन अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का पता चलता रहे. साथ ही सभी केंद्रीय या दिल्ली सरकार के अस्पतालों, एम्स, निगम के अस्पताल व स्वायत्त अस्पतालों में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो मरीजों को सभी वित्तीय सहायता योजनाओं की जानकारी दे और उस सहायता के लिए वे उसकी मदद कर सकें. समिति ने यह भी सिफारिश किया है कि मरीजों की सुविधा के लिए सभी अस्पतालों में एकल खिड़की तंत्र लागू किया जाए या बढ़ाया जाए.
पीठ ने इसके साथ ही समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और मुख्य सचिव से उक्त सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पिछले साल मरीजों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की व्यवस्था में सुधार को लेकर एक समिति का गठन किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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