S Jaishankar takes Oath: नरेंद्र मोदी ने रविवार 9 जून की शाम लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके अलावा राजनाथ, शाह, गडकरी, ज्योतिरादित्य समेत 30 कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली. मोदी कैबिनेट के मंत्रियों में एस जयशंकर भी शामिल हैं. उन्होंने आज अंग्रेजी भाषा में शपथ ली. वह केंद्र में दूसरी बार मंत्री बने हैं.
मई 2019 में जब एस. जयशंकर भारत के विदेश मंत्री बने थे, तो विदेश नीति पर उनकी निर्विवाद महारत के बावजूद उन्हें बड़े पैमाने पर राजनीतिक रूप से उतना मजबूत नहीं माना जाता था.
पिछले पांच वर्षों के दौरान, वह न केवल उस धारणा को दूर करने में सफल रहे, बल्कि विश्वसनीयता के साथ खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है, जिसने विभिन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटते हुए एक दृढ़ विदेश नीति तैयार की है.
जयशंकर (69) का राजनयिक करियर चार दशकों तक फैला है. उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में शपथ ली.
यदि वह विदेश मंत्रालय का कार्यभार फिर संभालते हैं तो उनका तात्कालिक ध्यान तीन बिंदुओं पर रहेगा: सीमा पर चीन की धमकाने वाली रणनीति से उत्पन्न चुनौतियों, पश्चिम एशिया में चल रही स्थिति और यूक्रेन में संघर्ष के मद्देनजर भारत के हितों की रक्षा करना.
अपनी असाधारण कुशाग्रता और कार्यकुशलता के लिए जाने जाने वाले विदेश मंत्री ने भारत में, विशेषकर युवाओं से, प्रशंसा अर्जित की है, मुख्यतः भारत की विदेश नीति प्राथमिकताओं के बारे में अपनी निर्णायक कार्यशैली के लिए.
सार्वजनिक भाषणों और साक्षात्कारों के उनके कुछ वीडियो विभिन्न ऑनलाइन मंचों पर बहुत लोकप्रिय हुए हैं.
मोदी के प्रबल समर्थक जयशंकर ने विदेश मंत्री के रूप में वैश्विक मंच पर अनेक जटिल मुद्दों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया.
यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर मास्को से नयी दिल्ली द्वारा कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी आलोचना को कम करने से लेकर आक्रामक चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति वाला दृष्टिकोण अपनाने तक जयशंकर का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा है.
उन्हें विदेश नीति के मामलों को घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय भी दिया जाता है, विशेष रूप से भारत के जी-20 की अध्यक्षता के दौरान. फिलहाल वह गुजरात से राज्यसभा सदस्य हैं.
जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) से जुड़े थे. उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2015-18) के दौरान भारत के विदेश सचिव के रूप में कार्य किया. वे अमेरिका (2013-15), चीन (2009-2013) और चेक गणराज्य (2000-2004) में भी राजदूत रह चुके हैं.
वह सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) रहे. इसके अलावा उन्होंने कई दूतावासों और विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में भी सेवा दी.
वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक हैं और उन्होंने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और अंतरराष्ट्रीय संबंध में एम.फिल और पीएचडी की है.
वह 2019 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं और उन्होंने एक व्यापक रूप से प्रशंसित पुस्तक ‘द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ लिखी है.
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— भारत एक्सप्रेस
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