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Money Laundering Case: यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों संजय और अजय चंद्रा को जमानत, ढाई साल से जेल में बंद हैं दोनों

Money Laundering case In India: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों संजय और अजय चंद्रा को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई है। एडिशनल सेशन जज धीरज मोर जमानत देते हुए कहा कि मौजूदा मामले में, संजय चंद्रा और अजय चंद्रा पिछले ढाई साल से जेल में बंद है। हालांकि मामले की सुनवाई अभी तक शुरू नही हुई है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में अधिकतम सजा 7 साल है, और वे इस मामले में उन्हें दी जाने वाली अधिकतम दर्ज का एक बड़ा हिस्सा जेल में बिता चुके है। इस मामले में कुल 71 लोगो को ईडी ने आरोपी बनाया है वही 121 गवाह है। कोर्ट ने कहा कि दोनों को जमानत पर रहते हुए भी मुकदमा आगे बढ़ सकता है।

दोषी ठहराए जाने से पहले हिरासत में लेना ठीक नहीं

कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अधिकतम सजा में भी ज्यादा परीक्षण पूर्व हिरासत का उद्देश्य कभी भी दंडात्मक नही हो सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले हिरासत में लेना या जेल जाना बिना सुनवाई के सजा नहीं बन जाना चाहिए। बता दें कि इस मामले के सह आरोपियों प्रीति चंद्रा और राजेश मलिक को लगभग डेढ़ सके जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई थी।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस ईसीआईआर में धारा 3 के तहत अपराध के लिए पीएमएलए की धारा 45 के साथ पठित धारा 44 के तहत और 14 कंपनियों और रमेश चंद्र नामक तीन व्यक्तियों सहित 17 आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय पहला अभियोजन दायर किया है।

घर खरीदारों के पैसों का गबन करने के आरोप

बता दें कि संजय चंद्रा और अजय चंद्रा दोनों पर कथित रूप से घर खरीदारों के पैसों का गबन करने के आरोप में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले जमानत देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दोनों भाइयों ने पालन नही किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों को 750 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री में जमा करने को कहा था, लेकिन दोनों ने पैसा जमा नही किया। सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर 2019 में ग्रांट और थॉर्नटन ने एक फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें खुलासा किया गया था कि यूनिटेक द्वारा 29800 होमबायर्स से 14270 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की गई थी।

रिपोर्ट में कथित तौर पर दावा किया गया था कि उस राशि मे से 13364 करोड़ रुपये का पता बैंक स्टेटमेंट से लगाया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि उन्हें करीब 90 प्रतिशत रुपये 2006 से 2014 के बीच मिले थे।

— भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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