मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा, स्नातक (नीट यूजी) परीक्षाओं में ग्रेस मार्क्स देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए ) के निर्णय को चुनौती देते हुए दिल्ली हाइकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। अदालत ने एनटीए से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार को तय की है। श्रेयंसी ठाकुर नामक 17 वर्षीय छात्रा द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि एनटीए का अनुग्रह अंक देने का निर्णय मनमाना है और इससे हजारों छात्र प्रभावित हो रहे हैं।
मई में आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में यह देखा गया कि टेस्ट बुकलेट कोड आर5 के प्रश्न संख्या 29 में, विकल्प 2 और 4 दोनों में उल्लिखित उत्तरों को सही माना गया। यह परीक्षा निर्देशों के विपरीत था, जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक बहुविकल्पीय प्रश्न (एमसीक्यू) के लिए केवल एक विकल्प ही सही हो सकता है। विसंगति को देखते हुए एनटीए ने उन सभी छात्रों को अंक देने का फैसला किया जिन्होंने कथित सही उत्तरों में से किसी एक को चुना जिससे उन लोगों को लाभ हुआ जिन्होंने उत्तर का अनुमान लगाया या उस उत्तर को चिह्नित किया जो उन्हें सही लगा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि एनटीए का निर्णय उन उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करता है जिन्होंने निर्देशों का पालन किया और प्रश्न संख्या 29 के लिए उत्तर को चिह्नित नहीं किया क्योंकि इसमें दो सही उत्तर थे। याचिका में कहा गया है इसके अलावा एनटीए द्वारा घोषित परिणाम में विभिन्न उम्मीदवारों को बिना सोचे-समझे मनमाने और अनुचित अनुग्रह अंक दिए गए हैं। यह उन सभी उम्मीदवारों के अधिकारों का घिनौना उल्लंघन है, जिन्हें इस मनमानी से कोई लाभ नहीं मिलता और वे अपनी रैंक खो देते हैं (रैंक में अंतर लगभग 20,000 और उससे अधिक है) और इसलिए बेहतर भविष्य हासिल करने की संभावना भी खो देते हैं।
4 जून को प्रकाशित नीट-यूजी परीक्षा के परिणाम तब विवाद में आ गए जब यह सामने आया कि आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या में छात्रों (विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार 67 छात्र) ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए। यह भी बताया गया कि पूर्ण अंक प्राप्त करने वाले छात्रों में से 44 छात्रों ने इतने उच्च अंक प्राप्त किए क्योंकि उन्होंने भौतिकी का एक प्रश्न गलत किया था और उन्हें अनुग्रह अंक दिए गए थे। परीक्षा के संचालन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है। 6 जून को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले में एनटीए से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की। इस बीच, एनटीए को अगले आदेश तक परीक्षा से संबंधित रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है।
-भारत एक्सप्रेस
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