मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) द्वारा वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके संभावित उपयोग पर प्रकाशित एक नई पुस्तक ने कश्मीर में विवाद को जन्म दिया है. इस पर कश्मीर सेवा संघ (KSS) ने तत्काल सुधारों और कश्मीर में वक्फ संपत्तियों के कथित गलत प्रबंधन की CBI जांच की मांग की है. साथ ही मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के लेखकों से आह्वान किया है कि वे जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड के लिए एक अलग संस्करण प्रकाशित करें और यहां के बड़े और रसूखदार लोगों का कच्चा चिट्ठा खोलें.
पुस्तक का विमोचन शुक्रवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने किया था, और इसे एक वॉल्यूम में वक्फ की इनसाइक्लोपीडिया बताया था. रिजिजू ने संसद में किताब में रखी बातों को कोट करने की घोषणा की और इसे रिसर्च एवं रेफरेंस गाइड के रूप में पॉलिसीमेकर्स, स्टेकहोल्डर्स और जनता के लिए महत्वपूर्ण करार दिया.
इस्लाम का सम्मान और मुसलमानों के लिए एक उपहार शीर्षक वाली इस पुस्तक के लेखक शाहिद सईद, डॉ. प्रो. शाहिद अख्तर, डॉ. शालिनी अली और शिराज कुरैशी हैं, जो एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं. यह पुस्तक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करती है, ताकि इन संपत्तियों का उपयोग वंचित समुदायों की भलाई के लिए किया जा सके.
कश्मीर सेवा संघ, जो कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित एक प्रमुख संगठन है, ने वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार और संसाधनों के गलत प्रबंधन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कश्मीर सेवा संघ के अध्यक्ष और संस्थापक फिरदौस बाबा ने वक्फ संपत्तियों के कथित दुरुपयोग की सीबीआई जांच की मांग की, जिनके बारे में उनका कहना है कि इन संपत्तियों का उपयोग न के बराबर हो रहा है और कई संपत्तियों पर अतिक्रमण हो चुका है.
“वर्षों की गलत प्रबंधन ने कश्मीर के लोगों को उन अवसरों से वंचित कर दिया है, जो उनके जीवन को बदल सकते थे,” बाबा ने कहा. “हम एक पूरी जांच की मांग कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये संपत्तियां लोगों की भलाई के लिए उपयोग की जाएं, खासकर सबसे कमजोर वर्गों के लिए.”
पुस्तक ने समुदाय में गहरी गूंज पैदा की है और इसके बाद सुधारों की मांग तेज हो गई है. यह वक्फ प्रबंधन प्रणाली में व्यापक बदलाव की वकालत करती है, जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही और समुदाय की भलाई पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
सीबीआई जांच की मांग के साथ-साथ कश्मीर सेवा संघ ने यह भी कहा है कि सरकार को डाउनटाउन श्रीनगर को विशेष दर्जा या एक समर्पित सहायता पैकेज प्रदान करना चाहिए, जो दशकों से सामाजिक-आर्थिक उपेक्षा का शिकार रहा है. बाबा ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में कृषि भूमि और महिलाओं एवं युवाओं के लिए टिकाऊ आर्थिक अवसरों जैसी महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुंच की कमी के कारण इसका विकास रुका हुआ है.
“हमने डाउनटाउन श्रीनगर की कठिनाइयों को 30 सालों से देखा है,” बाबा ने अफसोस जताया. “सरकार ने हमारी जरूरतों पर आंखें मूंद रखी हैं. प्रधानमंत्री के सीधे हस्तक्षेप के बिना यहां की जीवन स्थितियों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है.”
कश्मीर सेवा संघ न केवल सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहा है, बल्कि वह डाउनटाउन श्रीनगर में महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए सामुदायिक-प्रेरित पहल भी शुरू कर रहा है. इन पहलों में एक चैरिटेबल अस्पताल की स्थापना शामिल है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार हो सके, और एक मुफ्त कोचिंग सेंटर का संचालन किया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं को UPSC, NEET और JEE जैसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी करने में मदद दी जाएगी.
कश्मीर सेवा संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य, नसीर अली खान (सड़क सुरक्षा) और एलिजा इझार (शिक्षा) ने भी कश्मीर के शिक्षा और सड़क सुरक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समस्याओं पर प्रकाश डाला. इझार ने राज्य में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी की आलोचना की और इसे कश्मीरी युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक बताया. खान ने क्षेत्र की खराब सड़क संरचना और ट्रैफिक कानूनों के पालन में लापरवाही का विवरण दिया, और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया.
दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग कई समस्याओं का समाधान कर सकता है, जिनमें बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, और सामाजिक कल्याण शामिल हैं, और इसके लिए वक्फ बोर्ड का एक संपूर्ण ऑडिट और सुधार आवश्यक है.
राष्ट्रीय स्तर से आगे बढ़ते हुए, फिरदौस बाबा ने कश्मीर के सशक्तिकरण के लिए एक वैश्विक मंच बनाने की कश्मीर सेवा संघ की दृष्टि साझा की. संगठन ने 32 देशों में कश्मीर के लोगों के लिए जागरूकता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता बनाने के लिए सहयोग करने की योजना बनाई है, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.
जैसे-जैसे कश्मीर सेवा संघ डाउनटाउन श्रीनगर के सामाजिक-आर्थिक संघर्षों को उजागर करने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की सीबीआई जांच की मांग को तेज करता है, वह महिलाओं और युवाओं के लिए सशक्तिकरण और समानता की दिशा में भी अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखे हुए है. वक्फ संपत्तियों को सामुदायिक विकास के लिए संसाधन बनाने का पहल कश्मीर के भविष्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, यह सुनिश्चित करते हुए कि इस क्षेत्र के संसाधन इसके सबसे कमजोर वर्गों की भलाई के लिए उपयोग किए जाएं.
–भारत एक्सप्रेस
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