देश

दिल्ली के LG VK Saxena द्वारा दायर मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता Medha Patkar दोषी करार

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 साल पुराने एक आपराधिक मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दोषी ठहराया है. साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आईपीसी की धारा 500 के तहत दोषी ठहराया है और सजा के बिंदु पर सुनवाई 30 मई के लिए स्थगित कर दी है.

पाटकर के खिलाफ दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने वर्ष 2001 में आपराधिक मानहानि की शिकायत की थी. उस समय वे अहमदाबाद स्थित NGO नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे.

क्या था मामला

वीके सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 25 नवंबर, 2000 को अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि की शिकायत की थी और उसमें पाटकर के एक प्रेस नोट का हवाला दिया था.

प्रेस नोट ‘देशभक्त का असली चेहरा’ शीषर्क से था. इसमें कहा गया था कि हवाला लेन-देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए. नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) की तारीफ की और 40 हजार रुपये का चेक दिया, लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया.


ये भी पढ़ें: Swati Maliwal Assault Case: आरोपी विभव कुमार चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए


जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नहीं है. पाटकर ने यह भी कहा था कि सक्सेना कायर हैं, देशभक्त नहीं. अदालत ने इस मामले में वर्ष 2001 में संज्ञान लेते हुए पाटकर को नोटिस जारी किया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था.

साकेत कोर्ट ने क्या कहा

मेधा पाटकर ने खुद को निर्दोष बताया और आरोप साबित करने की बात कही थी. मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा है कि पाटकर की हरकतें जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य वीके सक्सेना की अच्छी छवि को धूमिल करना था. इससे उनकी छवि और साख को काफी नुकसान पहुंचा है. उनके लगाए गए आरोप भी न केवल मानहानिकारक हैं, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे हैं, उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है. शिकायतकर्ता को ‘कायर व देशभक्त नहीं’ के रूप में लेबल करने का पाटकर का बयान उनके व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्र के प्रति वफादारी पर सीधा हमला था.

उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप सार्वजनिक क्षेत्र में विशेष रूप से गंभीर हैं, जहां देशभक्ति को बहुत महत्व दिया जाता है. किसी के साहस और देश के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाने से उनकी सार्वजनिक छवि और सामाजिक प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है. ये शब्द न केवल भड़काऊ थे, बल्कि सार्वजनिक जीवन में उन्हें नीचा दिखाना व उनके सम्मान को कम करने के इरादे से था.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

BGT Perth Test: टीम इंडिया 9वीं बार विदेशी सीरीज में पहले ही दिन हुई ऑल-आउट

Border-Gavaskar Trophy: भारतीय टीम पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ केवल 150 रन बनाकर ऑल-आउट…

2 minutes ago

5 लाख डॉलर, नौकरी, परिवार को दुबई का वादा, बायजू के संस्थापक पर गवाह को अमेरिका छोड़ने के लिए लालच देने के लगे आरोप

कंसल्टिंग फर्म रोज लेक इंक के मुख्य कार्यकारी विलियम आर हेलर ने एक बयान में…

2 minutes ago

दुनिया के 7वें सबसे खुशहाल देश की राजकुमारी के बेटे पर लगा गंभीर आरोप, जानें क्या है पूरा मामला

नॉर्वे की राजकुमारी मेटे-मैरिट के बेटे मैरियस बोर्ग होइबी पर यौन उत्पीड़न और रेप के…

21 minutes ago

BGT Test Series: बल्ले से खराब फॉर्म के बीच कैच छोड़ने के मामले में भी कोहली ने बनाया अनचाहा रिकॉर्ड

Border-Gavaskar Trophy: पर्थ में विराट कोहली ने 12 गेंदों पर 5 रनों की पारी खेली…

43 minutes ago

आपराधिक मानहानि के मामले में दिल्ली की CM Atishi को राहत, सेशन कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाया

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बीजेपी (BJP) नेता प्रवीण शंकर कपूर द्वारा उनके खिलाफ दायर…

53 minutes ago

झलकारी देवी की वीरगाथा: रानी लक्ष्मीबाई की सेना प्रमुख, जिन्होंने प्राणों का ​बलिदान देकर अंग्रेजों से झांसी को बचाया

झलकारी बाई एक आदर्श वीरांगना थीं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी वीरता एवं साहस से भारतीय…

1 hour ago