सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी द्वारा लंदन में आयोजित एक चर्चा के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि वो 24 साल से जज के तौर पर काम कर रहे लेकिन कभी भी राजनीतिक दबाव में काम नही किया। सीजेआई ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी द्वारा लंदन में आयोजित एक चर्चा के दौरान पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा है।
दबाव को लेकर सीजेआई ने कही ये बात
सीजेआई से जब सवाल किया गया कि क्या पिछले कुछ सालों में कभी न्यायपालिका पर कोई राजनीतिक दबाव रहा है। सीजेआई ने यह भी कहा कि भारत में हम जिन लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करते हैं, उनमें यह भी शामिल है कि हम सरकार की राजनीतिक शाखा से अपेक्षाकृत अलग-थलग जीवन जीते है। हालांकि, सीजेआई ने माना कि जजों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों पर निर्णय लेने के लिए बुलाया जाता है, तो उन्हें एक अलग तरह के राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है और जाहिर है कि जजों को अपने फैसले से राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी होनी चाहिए।
जज को पता होना चाहिए उनके फैसले के राजनीतिक प्रभाव
सीजेआई ने कहा कि जज को इसका पता होना चाहिए कि उनके फैसले के क्या राजनीतिक प्रभाव हो सकते है। अदालतों में लंबित मुकदमों को लेकर सीजेआई ने कहा कि भारत की आबादी के हिसाब से देश मे जजों की संख्या बहुत कम है। सीजेआई ने कहा कि हमारी न्यायपालिका और जजों की जरूरत है और इसे बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत है।
सीजेआई ने कहा कि भारत में आबादी का अनुपात दुनिया मे सबसे कम है। लंबित मामलों को देखते हुए अधिक से अधिक जजों की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें यह भी लगता है कि जितनी जल्दी हो सके अदालतों में इन पदों पर नियुक्तियां की जानी चाहिए। सीजेआई ने सोशल मीडिया को लेकर कहा कि यहां हर कोई पत्रकार की तरह व्यवहार करता है और इसका शिकार सबसे ज्यादा जजों को होना पड़ता है।
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