Srinagar: कश्मीर घाटी के बाग लाल सुर्ख रसीली चेरी के गुच्छों से लदे हुए हैं. इस साल पैदावार भी अच्छी हुई है. चेरी वह फल है, जिसकी कटाई से कश्मीर में फलों के मौसम की शुरुआत होती है और बगीचों में एक अलग दृश्य सामने आता है. यह फल बागवानों और मजदूरों को मध्य वर्ष में एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा प्रदान करता है, जब अधिकांश अन्य फल निष्क्रिय रहते हैं.
घाटी में चेरी के महत्व के बारे में बोलते हुए, एक बागवानी विकास अधिकारी ने कहा, “चेरी कश्मीर के बागवानी क्षेत्र में विशेष रूप से स्ट्रॉबेरी की फसल के बाद एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. अकेले श्रीनगर जिले में 333 हेक्टेयर भूमि में खेती की जाती है. हम साल लगभग 3,000 मीट्रिक टन चेरी की प्रभावशाली उपज देखते हैं.
परंपरागत रूप से चेरी की खेती ने कश्मीर के हरवान और शालीमार क्षेत्रों में होती है. हालांकि, नई तकनीकों से चेरी के बाग पूरी घाटी में फैल गए हैं. जिससे उत्पादन और आर्थिक अवसरों में वृद्धि होती हैं.
सकारात्मक प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए, एक स्थानीय किसान ने बताया कि “पहले के समय में हमारे पास अव्वल, इटली, मिश्री, मखमली, डबल और हाइब्रिड जैसी सीमित संख्या की चेरी प्रजातियां थीं. हालांकि, हमारे उद्यानिकी ने हाल ही में नई प्रजाति की खोज की है, जो न केवल उगाने में कम परिश्रम मांगती हैं, बल्कि बेहतर परिणाम भी देती हैं. इस प्रजाति ने हमारी उत्पादन क्षमता में काफी वृद्धि की है.”
कश्मीर घाटी में चेरी की फसल एक महत्वपूर्ण फल फसल है, जिससे स्थानीय समुदाय का जीवन समृद्ध हो गया है. नई किस्मों और बेहतर खेती तकनीकों की शुरुआत के साथ, इस क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है. जिससे बागवानी को बहुत जरूरी बढ़ावा मिल रहा है. चेरी को उनकी डालों से तोड़ दिया जाता है और मजदूरों में टोकरियों भर लेते है.
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