कहते हैं बीमारी से परेशान इंसान इलाज के लिए हर ठिकाने पर दस्तक देने को तैयार रहता है. ऐसे में स्थाई उपचार का ख्वाब दिखाकर अकसर नीम हकीम और झोला छाप उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. मगर इस बार एक ऐसी शख्सियत को नीम हकीम बताया जा रहा है, जिसे लोग योग गुरु रामदेव के नाम से जानते हैं. राजनीति से लेकर सामाजिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों के कारण अकसर विवादों में रहने वाले रामदेव इस बार सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर हैं. आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से मोटा मुनाफा कमाने से रोका, तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर देश की सबसे बड़ी अदालत को भी चुनौती देने से परहेज नहीं किया.
पतंजलि आयुर्वेदिक लिमिटेड विवादों की गिरफ्त में है, जिसके संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण अपनी कारगुजारियों के कारण सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर हैं. मामला लाइलाज मानी जाने वाली बीमारियों के स्थाई उपचार के भ्रामक दावों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरेआम चुनौती देने से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि खुद को कानून और अदालत से बड़ा समझने वाले बाबा रामदेव ने ना केवल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाया, बल्कि अदालत के आदेश के अगले ही दिन खुले आम प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर अप्रत्यक्ष तरीके से आदेश पर सवाल करते हुए छाती ठोककर दावा किया कि वह आदेशों की परवाह नहीं करेंगे. शायद यही वजह रही कि उन्होंने अदालत के आदेशों की खुले आम अवहेलना का सिलसिला कई महीनों तक जारी रखा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर योग गुरु रामदेव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. जिसमें कहा गया था कि रामदेव एलोपैथी उपचार के खिलाफ बयान देने के साथ ही भ्रामक दावों के साथ ऐसे विज्ञापन दे रहे हैं, जिनमें कई बड़ी बीमारियों के स्थाई इलाज का दावा किया जा रहा है. बीते साल 21 नवंबर को मामले की सुनवाई करने के बाद जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई थी. जिसके बाद आदेश दिया था कि वह बीमारियों के स्थाई उपचार से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाए. जिसका उल्लंघन करने पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी गई थी.
रामदेव ने आदेश पर उठा दिए सवाल
हैरानी की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अगले ही दिन रामदेव ने बालकृष्ण के साथ मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और अप्रत्यक्ष तौर पर अदालत के आदेश पर ही सवाल खड़े कर दिए. रामदेव ने कहा कि डाक्टरों के गिरोह और गैंग ने एक ऐसी संस्था बना रखी है, जो योग और नेचरोपैथी के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाती हैं. सिंथेटिक वर्ल्ड में बहुत सारी बीमारियों का कोई उपचार नहीं हैं. जबकि हम एविडेंस बेस्ड ट्रीटमेंट सिस्टम से बीमारियों को कंट्रोल यानी क्योर करते हैं. उन्होंने कई ऐसे युवकों और युवतियों को पेश करके यह दावा भी ठोका कि वह इन लोगों की मधुमेह और थायराइड की बीमारी पूरी तरह से ठीक कर चुके हैं. उन्होंने दावा किया कि उनके पास इसके प्रमाण हैं कि वह असाध्य बीमारियों को पूरी तरह ठीक करते है. साथ ही आरोप लगाया कि WHO और पूरा मॉर्डन मेडिकल सिस्टम झूठ बोल रहा है.
IMA की आपत्ति पड़ी भारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रामदेव ने भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला उसी रफ्तार से जारी रखा. जिसके खिलाफ Indian Medical Association ने एक बार फिर अदालत का रुख किया. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला जारी है, इसी के साथ दूसरी चिकित्सा पद्धति के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही है. पीठ ने कहा कि आप अदालत को मजबूर कर रहे हैं. साथ ही पतंजलि के सभी भ्रामक विज्ञापनों के प्रसारण पर तत्काल रोक लगाते हुए कहा कि हिम्मत है तो आप इस आदेश की अवहेलना करके दिखाएं.
पहले भी उत्पादों को लेकर कठघरे में रह चुकी है पतंजलि
साल 2022 में उत्तराखंड सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग ने गाय के घी के नमूने की जाँच की थी. जिसमें पाया गया कि उमसे मिलावट है और वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेदिक और यूनानी विभाग ने पतंजलि की कुछ दवाओं जैसे बिपिग्रिट, मधु ग्रिट, थाइरोग्रित और आईग्रिट गोल्ड आदि के उत्पादन पर भी रोक लगा दी थी. बाद में कंपनी ने संशोधित फार्म्युलेशन की जानकारी देकर इस रोक को हटवाया था. साल 2021 में कोविड में दौरान पतंजलि ने “कोरोनिल” के माध्यम से सात दिन में कोरोना ठीक होने का दम भरते हुए भ्रामक दावे किए थे. लेकिन आयुष विभाग की सख्ती के बाद इसे इम्यून बूस्टर के नाम पर बेचना पड़ा था.
कौन हैं रामदेव
करीब दो दशक पहले योग के माध्यम से समाज को जागरूक करने की मुहिम शुरू करने वाले राम किशन यादव कुछ ही सालों में बाबा रामदेव के नाम से मशहूर हो गए. नाम बढ़ा तो उन्होंने काले धन और भ्रष्टाचार के विरोध में भारत स्वाभिमान आंदोलन की शुरुआत कर दी. जिससे जुड़े राजीव दीक्षित की रहस्यमय मौत को लेकर भी गंभीर आरोप सामने आए थे. इसके बाद रामदेव ने पतंजलि के नाम से कंपनी शुरू की और स्वदेशी का तड़का लगाकर भारतीय बाजार में अपनी गहरी पैठ बना ली. मशहूर होने के साथ ही कभी ओबीसी पर टिप्पणी करने के कारण तो कभी महिलाओं के साड़ी नहीं पहनने पर की गई अभद्र टिप्पणी के कारण भी रामदेव विवादों से घिर चुके हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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