इजरायल को भारत सरकार द्वारा मुहैया कराए जा रहे हथियार और गोला बारूद की सप्लाई करने वाली भारत की कंपनियों के मौजूदा लाइसेंस रद्द करने और नए लाइसेंस देने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतराष्ट्रीय पॉलिसी मामले में कोर्ट दखल नहीं दे सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर रोक नही लगाई गई तो भारत सरकार के साथ जो संधि हुई है। उसका उल्लंघन होगा।
सीजेआई ने कहा कि यह अंतराष्ट्रीय पॉलिसी का मामला है। हम कैसे कह सकते है केंद्र सरकार य़ह करे या य़ह न करें? हम सरकार को कैसे मना कर सकते है? सीजेआई ने कहा कि मुझे य़ह ध्यान है कि पाकिस्तान के मामले में केंद्र नेट्रेड के मामले मे रोक लगाई थी, य़ह सरकार तय करती हैं। वही मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस कर केंद्र सरकार से जवाब लेना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि कानून बिलकुल साफ है। अंतराष्ट्रीय पॉलिसी बनाना संसद का अधिकार है। सीजेआई ने कहा कि अगर रूस और युकेन के बीच युद्ध चल रहा है। उसको देखते हुए क्या हम कह सकते है कि भारत सरकार रूस से तेल न ले वही बांग्लादेश देश में जो चला रहा है क्या उसको लेकर हम दखल दे सकते है। वही मालदीप के मामले में भी क्या हम य़ह कह सकते है?, ऐसा नहीं कह सकते है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि कई यूनाइटेड नेशन की बॉडी ने माना है की गाजा में नरसंहार हो रहा है। यह पर बेहद महत्वपूर्ण परिस्थिति है और कोर्ट ने कई मामलो मे अपणे आदेशों मे इसका हवाला दिया है। इसलिए कोर्ट को दखल देना चाहिए। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अगर किन्हीं दो देशों में करार हुआ है तो करारा पूरा करना होगा। य़ह आपका अनुमान हो सकता है जो आप कह रहें है। लेकिन ऐसे मामलों में कोर्ट दखल नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि हम हम केवल इंपोटर नही रहे बल्कि अब एक्सपोर्टर भी हो चुके है। बता दें कि इजरायल गाजा में हमास के साथ जंग लड़ रहा है, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। यह याचिकाहर्ष मंदर, नोएडा के अशोक कुमार शर्मा सहित 11 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर की थी।
याचिका में कहा गया था कि भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का पालन करता है। जिसके तहत भारत युद्ध के अपराधों के दोषी देशों को सैन्य हथियारों की सप्लाई नहीं कर सकता है। ऐसे में किसी भी तरह की हथियारों की सप्लाई और उसके इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। याचिका में यह भी कहा गया था कि भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों जे बंधा हुआ है जो युद्ध अपराधों के दोषी देशों को सैन्य हथियार आपूर्ति करने पर रोक लगाते है। उनका यह भी दावा था कि इस तरह के किसी भी निर्यात का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन में किया जा सकता है।
याचिका में यह भी कहा था कि इजरायल को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि एक निजी भारतीय कंपनी, प्रीमियर एक्सप्लोसिव लिमिटेड कम से कम 2021 से डीजीएफटी से एससीओएमईटी लाइसेंस के तहत इजरायल को विस्फोटक और संबद्ध सामान का निर्यात कर रही है। इसमें यह भी कहा गया था कि पिछले साल गाजा पर इजरायल के युद्ध शुरू होने के बाद से प्रीमियर एक्सप्लोसिव लिमिटेड को इन वस्तुओं के निर्यात की कम से कम तीन बार अनुमति दी गई। बता दें कि गाजा पर इजरायल के हमले में हजारों फलीस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। इससे पहले हमास के बंदूकधारियों ने सात अक्टूबर 2023 की सुबह गाजा की सीमा पार करके इजरायल में धावा बोला और 1200 लोगों की हत्या कर दी थी।
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