प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 2022 से शुरू हुआ हर घर तिरंगा अभियान एक जन आंदोलन बन गया है. पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की थी कि सभी लोग 15 अगस्त के मौके पर अपने घरों, कार्यस्थलों और संस्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाएं.
हर घर तिरंगा अभियान को लेकर संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने बताया कि हर घर तिरंगा अभियान एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है. जिसके जरिए देश में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं. जिसमें स्वरोजगार से जुड़ी महिलाओं को खासकर रोजगार मिला है. इस आंदोलन ने जमीनी स्तर पर महिलाओं द्वारा संचालित एक पूरी तरह से नए उद्योग को जन्म दिया, जिससे बड़े विक्रेताओं पर निर्भरता कम हो गई.
गोविंद मोहन आगे बताते हैं कि जब इस अभियान को पहली बार 2022 में शुरू किया गया था, तो झंडों की मांग को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती थी. केंद्र सरकार ने बड़े विक्रेताओं से तिरंगे झंडे की खरीदारी कर लगभग 7.5 करोड़ झंडे सीधे और डाकघरों के माध्यम से राज्यों को वितरित किए गए थे.
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वहीं दूसरे वर्ष यानी कि 2023 में केंद्र सरकार द्वारा आपूर्ति किए गए राष्ट्रीय झंडों की मांग काफी कम होकर लगभग 2.5 करोड़ रह गई, क्योंकि महिला स्वयं सहायता समूहों ने तेजी से ध्वज उत्पादन का काम अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने यूपी का उदाहरण देते हुए बताया कि 2022 में योगी सरकार ने संस्कृति विभाग से 4.5 करोड़ झंडे खरीदे, लेकिन 2023 में सरकार ने संस्कृति मंत्रालय से एक भी झंडा नहीं लिया. बल्कि स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए झंडे खरीदे.
वहीं गोविंद मोहन ने बताया कि अब इस साल 2024 में, केंद्र सरकार द्वारा आपूर्ति किए गए झंडों की मांग घटकर केवल 20 लाख रह गई. पूरे भारत में, हर साल लगभग 25 करोड़ झंडों की ज़रूरत होती है. जो पहले बड़े विक्रेताओं से खरीदा जाता था, लेकिन अब इनकी जगह पर एसएचजी ने लिया है. जिससे इन समूहों के स्वरोजगार में बढ़ोतरी हुई है. ये स्वयं सहायता समूह अब अधिकांश राष्ट्रीय झंडों का उत्पादन और बिक्री करते हैं. पीएम मोदी के हर घर तिरंगा अभियान ने न केवल जनभागीदारी सुनिश्चित की है बल्कि देश भर में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर भी पैदा किए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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