दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के मामले में आतंकी संगठन आईएसआईएस के एक कथित सदस्य मोहम्मद हेदायतुल्ला को जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस प्रतिबा मनिंदर सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पर गंभीर है. इसलिए मोहम्मद हेदायतुल्ला की जमानत याचिका खारिज को खारिज किया जाता है.
उसपर आरोप है कि उसने भारत में आतंकवादी संगठन की विचारधारा का कथित तौर पर प्रचार करने एवं आईएसआईएस में अन्य लोगों को भर्ती करने के लिएटेलीग्राम ग्रुप का इस्तेमाल किया था. उसके खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवाद फैलाने को लेकर मामला दर्ज किया था.
विशेष अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उस आदेश को उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उसने कहा है कि केवल किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ा होना या उसका समर्थन करना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध नहीं है.
कोर्ट ने उसके इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि गुरुग्राम में एक आईटी कंपनी में काम करने वाला एक योग्य एमबीए स्नातक हेदायतुल्ला एक ‘निष्क्रिय’ समर्थक नहीं था, क्योंकि सबूतों से पता चलता है कि उसने ‘खिलाफत की स्थापना के लिए हिंसक तरीकों भी जिहाद’ की वकालत की है. अपीलकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया है कि वर्ष 2018 में उसने अबू बक्र अल बगदादी और अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-कुरैशी के नाम पर शपथ (बायथ) ली थी. बगदादी निश्चित रूप से आईएसआईएस का एक कुख्यात नेता है और आरोप पत्र के अनुसार उसने जून 2014 में ‘खिलाफत’ की स्थापना की घोषणा की थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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