मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित आरोपी मऊ विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. ईडी ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया पैसे के लेनदेन का संबंध साबित होता है और धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अदालत इस बात से संतुष्ट नही है कि अभियुक्त इस मामले में निर्दोष है. अब्बास अंसारी पर आरोप है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म मनी लॉन्ड्रिंग में सीधे तौर पर शामिल है, उक्त फर्म ने जमीनों पर कब्जा कर गोदामों को एफसीआई को किराए पर देकर 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की.
कंपनी पर नाबार्ड से सवा दो करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त करने का आरोप है. कंस्ट्रक्शन कंपनी में ज्यादातर हिस्सेदारी अभियुक्त की माँ अफशां अंसारी है था विकास कंस्ट्रक्शन सीधे तौर पर मेसर्स आगाज से संबंधित है, जो अभियुक्त के नाना की कंपनी है. हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अब्बास अंसारी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर दोनों कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल भी है तो इससे अभियुक्त का सीधे कोई संबंध नही है. वहीं ईडी की ओर से पेश वकील ने अब्बास अंसारी का जमानत का विरोध करते हुए जमानत याचिका खारिज करने की मांग की थी. ईडी ने यह भी कहा था कि उक्त दोनों फर्म के खातों से अब्बास अंसारी के खातों में पैसे आते थे और ये पैसे वह अपने व्यक्तिगत खर्चा के तौर पर इस्तेमाल करता था, जिसमें विदेश घूमना और स्पोर्ट राइफल शूटिंग के लिए हथियारों का आयात शामिल है.
-भारत एक्सप्रेस
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