PM Narendra Modi Mann Ki Baat Speech: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज 110वीं बार देश के लोगों को रेडियो प्रोग्राम मन की बात कार्यक्रम के जरिए संबोधित किया. ये इस साल का दूसरा मन की बात कार्यक्रम था. इससे पिछले संस्करण में पीएम मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा की थी. इसके अलावा लोकसभा चुनावों को देखते हुए पीएम ने पहली बार वोट डालने जा रहे युवा वोटर को अपना वोटर कार्ड बनवाने के लिए भी कहा था.
पीएम ने 110वें एपिसोड की शुरुआत महिला दिवस के जिक्र से की. पीएम ने कहा कि कुछ दिन बाद 8 मार्च को हम महिला दिवस मनाएंगे. यह विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान को सलाम करने का अवसर है. महान कवि भरतियार जी ने कहा है कि दुनिया तभी समृद्ध होगी जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे. कुछ साल पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में गांवों में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी. लेकिन आज ये संभव हो रहा है. आज गांव-गांव में ड्रोन दीदी की इतनी चर्चा है, हर किसी की जुबान पर ‘नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी’ है. हर कोई उनके बारे में बात कर रहा है.
पीएम ने आगे कहा कि कुछ दिनों बाद 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस है. यह दिन वन्यजीवों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व वन्यजीव दिवस की थीम में डिजिटल नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. पीएम मोदी ने कहा कि बेंगलुरु की एक कंपनी ने ‘बघीरा’ और ‘गरुड़’ नाम से ऐप तैयार किया है. ‘बघीरा’ ऐप से जंगल सफारी के दौरान वाहनों की गति और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी.
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार के प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी है. महाराष्ट्र के चंद्रपुर के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 250 के आंकड़े को पार कर गई है. यहां कैमरे लगे हैं जिन्हें गांव और जंगल की सीमा पर स्थापित किया गया है. जब भी कोई बाघ गांव के करीब आता है तो स्थानीय लोगों को एआई की मदद से उनके मोबाइल फोन पर अलर्ट मिल जाता है.
पीएम मोदी ने पशुपालन पर बात करते हुए कहा कि हम अक्सर बात को गाय और भैंस तक ही सीमित रखते हैं लेकिन बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन है जिसके बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती है. देश के अलग-अलग इलाकों में भी कई लोग बकरी पालन से जुड़े हुए हैं. ओडिशा के कालाहांडी में, बकरी पालन ग्रामीणों की आजीविका का एक प्रमुख स्रोत बन रहा है और उनके जीवन स्तर को भी बढ़ा रहा है.
हम हजारों वर्षों से प्रकृति और वन्य जीवन के साथ सह-अस्तित्व की भावना से रह रहे हैं. इसका अनुभव आप स्वयं कर सकेंगे. अगर आप कभी महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व जाएं. इस बाघ अभ्यारण्य के पास खटकाली गांव में रहने वाले आदिवासी परिवारों ने सरकार की मदद से अपने घरों को होमस्टे में बदल दिया है.
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